भारत के मुरली श्रीशंकर ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है। उन्होंने लॉन्ग जंप इवेंट में 8.08 मीटर की छलांग के साथ सिल्वर मेडल जीता है। 44 साल बाद मेंस लॉन्ग जंप इवेंट में किसी भारतीय ने मेडल जीता है। उनसे पहले सुरेश बाबू ने 1978 कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। अब श्रीशंकर का सपना ओलिंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है। श्रीशंकर के माता-पिता दोनों खिलाड़ी रहे हैं, लिहाजा खेल को लेकर नैसर्गिक टैलेंट हमेशा से उनके पास रहा है। इसके अलावा, वे पढ़ाई में भी बेहतरीन रहे हैं और 2017 में उन्होंने एमबीबीएस का एंट्रेंस एग्जाम पास भी कर लिया। बस एडमिशन लेने की देर थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। श्रीशंकर ने घरवालों से खेल में करियर बनाने की बात शेयर की। यह मुश्किल फैसला था, लेकिन घर से उऩ्हें इसकी इजाजात मिल गई, लेकिन, एक शर्त के साथ। शर्त ये थी कि खेलो लेकिन साथ में इंजीनियर बन जाओ। श्रीशंकर बायोलॉजी के साथ-साथ मैथ्स में भी बेहतरीन थे। उन्होंने इंजीनियरिंग का एंट्रेंस भी क्लियर किया और एडमिशन भी ले लिया। उन्होंने इंजीनियरिंग में एडमिशन तो ले लिया, लेकिन इस वजह से वे खेल पर फोकस नहीं कर पा रहे थे। वे कोशिश करते थे कि दिन में ट्रेनिंग करें और रात में पढ़ाई। कुछ दिन ऐसा चला लेकिन इसे सस्टेन कर पाना मुश्किल हो रहा था। फिर उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई को भी छोड़ने का फैसला कर लिया। कॉमनवेल्थ में सिल्वर मेडल जीतने के बाद अब श्रीशंकर का सपना है कि वे ओलंपिक में भारत के लिये मेडल जीतकर लाएं।