तो क्या दहेज लेना सही है! नर्सिंग की किताब में दहेज लेने के फायदे गिनाये गये, मचा बवाल
दहेज प्रथा कि जिस बुराई के खिलाफ समाज सदियों से लड़ाई लड़ रहा है उस बुराई को नर्सिंग पाठ्यक्रम में महिमा मंडित किया जा रहा है। जी हां इन दिनों सोशल मीडिया में ऐसी ही एक फोटो वायरल हो रही है। यह फोटो बीएससी नर्सिंग की पढाई में प्रयोग होने वाली किताब का है। जिसमें दहेज के फायदे गिनाये गये हैं। यह पन्ना टीके इंद्राणी की किताब टेक्स्टबुक ऑफ सोशोलॉजी फॉर नर्सेस का है। यह किताब बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए हैं। किताब के चौप्टर में दहेज प्रथा के गुण और फायदों की बात कही गई है।
किताब में कहा गया है कि अधिक दहेज के कारण बदसूरत लड़कियों की भी शादी हो जाती है। दहेज में मिले सामान जैसे टीवी, फ्रिज, पंखा, बर्तन, कपड़े और गाड़ी से गृहस्थी को बसाने में मदद मिलती है। इसमें आगे कहा गया है कि दहेज के कारण ही लड़कियों में शिक्षा का प्रसार बढ़ा है। दहेज के बोझ के कारण ही लोगों ने अपनी बेटियों को पढ़ाना शुरू कर दिया है। जब लड़की शिक्षित और नौकरी में होगी तो दहेज की मांग कम होगी। ऐसे में यह अप्रत्यक्ष रूप से फायदा है। पैतृक संपत्ति में हिस्सा। दहेज के रूप में लड़की को अपनी पैतिृक संपत्ति में हिस्सा मिलता है। किताब के कवर पर साफ लिखा है कि किताब आईएनसी के सिलेबस के अनुसार है। ऐसे में जब इस मामले में जब विवाद बढ़ा तो भारतीय नर्सिंग काउंसिल की तरफ से सफाई जारी की गई। आईएनसी ने अपमानजनक सामग्री वाली किताब की बिक्री के लिए एक पब्लिश और एक लेखक की तरफ से उसके नाम के इस्तेमाल की निंदा की। आईएनसी की तरफ से कहा गया कि आईएनसी अधिनियम की धारा 16 परिषद को नर्सों, मिडवाइव्ज और हेल्थ विजिटर्स की ट्रेनिंग के लिए स्टैंडर्ड और सिलेबल को निर्धारित करने का अधिकार देती है। नीति के अनुसार, आईएनसी केवल पाठ्यक्रम निर्धारित करती है और किसी लेखक या प्रकाशक का सपोर्ट नहीं करती है।