शांति दूत और पीड़ित मानवता की मददगार मदर टेरेसा की आज 112वीं जयंती है। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बेनियाई परिवार में हुआ था। उन्हें मानवता की प्रतिमूर्ति भी माना जाता है। उन्होंने भारत के रोगियों और अनाथों की सेवा करने में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी। अपने लिए तो हर कोई जीता है लेकिन दूसरों के लिए अपना पूरा जीवन दान कर देना ये हर कोई नहीं कर सकता। मदर टेरेसा ने अपने पूरे जीवन में अपने चैरिटी समूह के माध्यम से गरीब लोगों के लिए काम किया।
मदर टेरेसा को ‘बीसवीं सदी की फ्लोरेंस नाइटिंगेल’ भी कहा गया। दुनिया उन्हें मदर टेरेसा के नाम से जानती है लेकिन उनका असल नाम अगनेस गोंझा बोयाज था। इन्होने अपना पूरा जीवन गरीबों, लाचारों, बेसहारा और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया जिसके बाद से सभी उन्हें मदर यानि मां बुलाने लगे। मदर टेरेसा के इसी योगदान को देखते हुए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। महज 18 साल की उम्र से ही नन बनकर उन्होंने अपनी लाइफ को एक नयी दिशा दे दी थी। मदर टेरेसा भारतवासी नहीं थी। वे एक कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने साल 1948 में भारत की नागरिकता प्राप्त कर ली थी। लेकिन जब वे भारत पहली बार आई तो यहाँ के लोगों का प्रेम भाव देख कर उनसे प्रेम कर बैठी, जिसके बाद उन्होंने यही अपना जीवन बिताने का फैसला लिया। उन्होंने भारत के लिए अभूतपूर्व कार्य किये है।