Thursday, May 2, 2024
राष्ट्रीय

जमींदोज होंगे नोएडा के ट्विन टावर्स, 21 अगस्त को किया जाएगा विस्फोट

40 मंजिला ट्विन टॉवर, 1000 फ्लैट्स, 100 मीटर की लंबाई, 4000 किलो बारूद और 9 सेकेंड में जमींदोज हो जाएंगे टावर्स…
जी हां आगामी 21 अगस्त को नोएडा सेक्टर 93 में मौजूद रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक एमराल्ड के ट्विन टावर्स को जमींदोज कर दिया जाएगा। इन दोनों गगनचुंबी इमारतों को क्यों ढहाया जा रहा है? और इसमें किस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा? ये सवाल सभी के मन है। तो आइए अब हम आपको नोएडा ट्विन टॉवर की पूरी कहानी बताते हैं।
सबसे पहले जानिए मामला क्या है
दिग्गज रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक एमराल्ड ने नोएडा की अपनी रेजिडेंशियल सोसाइटी में 1000 फ्लैट्स वाले 40 मंजिला 2 ट्विन टावर बनाए थे। निर्माण में अनियमितता बरते जाने की बात सामने आई। जांच हुई तो दोनों टावर्स का कंस्ट्रक्शन मानकों के मुताबिक़ नहीं था। जिसके बाद साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टावर्स को गिराने का आदेश दे दिये। हाईकोर्ट के इस ऑर्डर को नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस दौरान तमाम जांचें और हुईं। सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत की बात भी सामने आई। जिनपर कार्रवाई भी हुई। सोसाइटी बनाने के लिए ग्रीन बेल्ट की जमीन पर अवैध कब्जे का खुलासा भी हुआ। इसके बाद बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए ट्विन टावर्स को गिराने का अंतिम आदेश जारी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों टावर्स गिराए जाएंगे, फ़्लैट मालिकों को उनका पैसा वापस दिया जाएगा और सुपरटेक कंपनी टावर्स के गिराने में आने वाला खर्च खुद उठाएगी।
अब जानिये 100 मीटर की उंचाई वाले इन दोनों टावर्स को गिराने में कौन सी तकनीक इस्तेमाल की जाएगी-
ट्विन टावर्स को गिराने के लिए सुपरटेक ने मुंबई की एक कंपनी का चयन किया है। जिस कंपनी को चयनित किया गया है वह दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में 108 मीटर ऊंची इमारत को ध्वस्त कर चुकी है। इस इमारत की दूसरी इमारत से दूरी आठ मीटर थी जोकि काफी पेचीदा काम था। नोएडा में भी ऐसी ही स्थिति है। सियान और एपेक्स दोनों टावरों की ऊंचाई 100 मीटर है और ट्विन टावर्स से अन्य टावर के बीच की दूरी नौ मीटर है। ट्विन टावर्स में 1000 फ्लैट्स हैं। इसे ध्वस्त करने के लिये करीब 4000 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल होगा। इस पूरी प्रक्रिया में तीन चरण का काम होता है। पहला महीनों इसमें तोड़-फोड़ और बाकी तैयारी की जाती है। दूसरा बिल्डिंग में सैकड़ों और कई बार हजारों तक छेद किए जाते हैं? जिनमें विस्फोटक फिट किए जाते हैं। और तीसरा काम होता है सेकंड्स के अंतराल पर डेटोनेटर की मदद से धमाके करना। इस पूरी प्रक्रिया में शुरुआती तोड़-फोड़ इस हिसाब से की जाती है कि बिल्डिंग का वजन कम हो जाए, और हर धमाके के साथ इमारत के हिस्से वर्टीकली नीचे धंसें और मलबा इमारत के एरिया से बाहर न गिरे। यानी जहां बिल्डिंग खड़ी है वह वहीं पर जमींदोज हो जाती है।
21 अगस्त को जब नोएडा का ट्विन टावर गिरेगा तो उसे देखने वालों की भीड़ रहने वाली है। ध्वस्तीकरण पर नजर रखने के लिये आस-पास दर्जनों कैमरा भी लगाए जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *