राष्ट्रपति चुनाव: उत्तराखण्ड में भी हुई क्रॉस वोटिंग, एक कांग्रेसी विधायक ने किया क्रॉस वोट
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को जिस बाद का डर था और भाजपा को जिसकी उम्मीद थी हुआ भी ठीक वैसा ही। यानी क्रॉस-वोटिंग। और इसी क्रॉस-वोटिंग की मदद से द्रौपदी मुर्मू को बड़ी जीत मिली है। लगभग आधा दर्जन गैर-एनडीए दलों के अलावा, 17 सांसदों और करीब 102 विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के लिए क्रॉस-वोट किया। ऐसी ही एक क्रॉस-वोटिंग उत्तराखण्ड में भी देखने को मिली है। राष्ट्रपति चुनाव में उत्तराखंड से एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को 51 विधायकों का समर्थन मिला, जबकि विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के पक्ष में 15 विधायकों ने मतदान किया। उत्तराखंड विधानसभा के 70 में से 67 सदस्यों ने मतदान किया था, इनमें से एक विधायक का मत अवैध रहा। उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भाजपा के 47 विधायक हैं, जबकि दो निर्दलीय और बसपा के दो विधायकों ने भी एनडीए प्रत्याशी के समर्थन की घोषणा की थी। इस तरह एनडीए प्रत्याशी को 51 विधायकों का समर्थन मिलना संभावित था। और द्रौपदी मुर्मू को 51 विधायकों ने ही मत दिया। लेकिन ट्विस्ट तब आया जब भाजपा सरकार के मंत्री चंदन रामदास ने अस्वस्थता के कारण मतदान नहीं कर पाये। इस लिहाज से एनडीए प्रत्याशी को 50 वोट मिलने चाहिए थे। यानी साफ है कि कांग्रेस के एक विधायक ने क्रास वोटिंग की। कांग्रेस के 19 विधायकों में से 17 ने ही मतदान किया था, दो अनुपस्थित रहे थे। इनमें तिलकराज बेहड़ और राजेंद्र भंडारी के नाम शामिल हैं। अगर यह माना जाए कि अवैध हुआ एक विधायक का वोट भी कांग्रेस का था, तो फिर भी कांग्रेस के एक विधायक ने क्रास वोटिंग की। अब उत्तराखण्ड के राजनीतिक गलियारे में चर्चा जोरों से चल रही है कि आखिर क्रॉस वोटिंग करने वाला कांग्रेसी विधायक कौन है। आपको बता दें कि जिन भी राज्यों में भाजपा की सरकार है और वहां क्रॉस-वोटिंग हुई है भाजपा इस सफलता का श्रेय उस राज्य के अपने मुख्यमंत्रियों को दे रही है। ऐसे में उत्तराखण्ड में हुई क्रॉस-वोटिंग सीएम धामी के लिये बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है।