Tuesday, May 21, 2024
उत्तराखंड

उत्तराखंड के आपदा प्रभावितों के पुनर्वास के लिए लैंड बैंक तैयार करेगी सरकार, 1146 परिवारों को स्थानांतरित करने के लिए हुई भूमि की पहचान

उत्तराखंड सरकार की ओर से भूमि बैंक की योजना तैयार की गई है। सरकार आपदा-संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए भूमि बैंक तैयार करने जा रही है। इससे आपदा प्रभावित इलाकों के लोगों को पुनर्वासित किया जा सकेगा। अब तक राज्य सरकार ने 141 गांवों से 835 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है। अभी 1316 परिवारों को स्थानांतरित किया जाना है। इनमें से 1146 परिवारों को स्थानांतरित करने के लिए भूमि की पहचान की गई है। यह खुलासा राज्य के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में किया। मंत्री ने आगे कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि भविष्य में ऐसे परिवारों को स्थानांतरित करने के लिए सरकार अपने पास आवश्यक भूमि को रखने की योजना तैयार कर रही है। इसके लिए हम एक भूमि बैंक बनाएंगे। दरअसल, अल्मोड़ा से कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी ने सरकार से पिछले कुछ वर्षों में राज्य भर में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों को दिए गए मुआवजे के बारे में पूछा था। इस पर मंत्री ने कहा कि अब तक राज्य में 45,650 परिवारों को 30.3 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया है। सरकार की ओर से दिए गए जवाब में मंत्री की ओर से कहा गया है कि पुनर्वास नीति 2021 के प्रावधानों के अनुसार, घर बनाने के कार्य के लिए 4 लाख रुपये की सहायता दी गई। प्राकृतिक आपदा में खोई हुई कृषि भूमि के बदले बंजर भूमि को सुधारने के लिए परिवारों को 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी गई। इसके अलावा गौशाला निर्माण के लिए 15,000 रुपये दिए गए। पुनर्वास नीति के रूप में 10,000 रुपये और काम से संबंधित उत्पादों और अन्य सामग्रियों को स्थानांतरित करने के लिए 25,000 रुपये की सहायता दी गई।

भूमि बैंक में आमतौर पर जमीन को सरकार की ओर से रखा जाता है। यह एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए आरक्षित होता है। हाल ही में राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों में औद्योगिक उद्देश्यों के लिए 6,000 एकड़ भूमि बैंक बनाया है। इसी तरह, लगातार प्राकृतिक आपदाओं के कारण धामी सरकार असुरक्षित स्थानों पर रहने वाले लोगों को स्थानांतरित करने के लिए एक भूमि बैंक बनाना चाहती है। इस उद्देश्य के लिए सभी 13 जिलों में ऐसी भूमि की पहचान की जा रही है।

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