चैत्र नवरात्री का चौथा दिन : आज ऐसे करें माता कूष्मांडा की पूजा अर्चना
आज 5 अप्रैल, मंगलवार को नवरात्रि का चौथा दिन है। यह दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा को समर्पित होता है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा मां कुष्ठमांडा ने अपने उदर से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्मांड का अस्तित्व नहीं था और हर जगह पूर्ण अंधकार के अलावा कुछ भी नहीं था, तब दिव्य प्रकाश की एक किरण प्रकट हुई। यह जल्द ही आकार लेने लगा और वह भी एक महिला का रूप में बदल गया। जब वह मुस्कुराई तो अंधेरा दूर हो गया। उन्होंने सूर्य, ग्रहों, तारों और आकाशगंगाओं की रचना की और सूर्य के केंद्र में आसन ग्रहण किया। माना जाता है कि भक्त माता के इस स्वरुप की पूजा करते है तो उन पर किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं आता। मां कूष्मांडा को तेज की देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मांड के सभी प्राणियों में जो तेज हैं, वह मां कूष्मांडा की देन है।
पूजा का शुभ समय और विधि :
सुबह 4:35 बजे से श्याम 4: 52 बजे तक है पूजा करने का सुबह समय है। सबसे पहले सभी देवी देवतओं की पूजा अर्चना करें और फिर माता का पूजा पाठ करें। माता के थाल को सिंदूर, नारियल, धूप, दीप, कलावा और प्रसाद से सजाये और भोग लगाए उनके बाद मंत्रो के जाप से माता को याद करें।