Saturday, April 27, 2024
अंतरराष्ट्रीय

तो क्या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं तुर्किए में हजारों लोगों की जानें? राष्ट्रपति एर्दोगन हो सकते हैं सत्ता से बाहर

तुर्किए में भूकंप से मची तबाही और हजारों लोगों के जान गवाने के बाद देश में राजनीतिक हलचल भी बढ़ गई है। तुर्किए में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि आने वाले समय में राष्ट्रपति एर्दोगन को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। ऐसा इसलिये क्योंकि राष्ट्रपति एर्दोगन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। कहा ये जा रहा है कि भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील तुर्किए में भवनों का निमार्ण सुरक्षा के लिहाज से नहीं किया गया जबकि इसकी सीधी जिम्मेदारी राष्ट्रपति पर थी। आपको बता दें कि साल 1999 में भी तुर्किये में जबरदस्त भूकंप आया था। उस समय भी भूकंप ने भी तुर्किये में काफि तबाही मचाइ थी और 17 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। 1999 के भूकंप के बाद सरकार ने एक नियम बनाया था कि नई इमारतों को भूकंप रोधी तकनीक से बनाया जाएगा। और तुर्किये के लोगों का मानना है कि उनकी सरकार इस नियम को सख्ती से लागू नहीं कर पाई, जिसकी वजय से ठेकेदारों ने भ्रष्टाचार कर लोगों के लिए असुरक्षित इमारतें तैयार की। और इसके अलावा तुर्किये की सरकार ने मौजूदा इमारतों को मजबूद बनाने के लिए खास टैक्स भी लोगों पर लगाया था। इस टैक्स से सरकार के पास करीब 17 बिलियन युएस डॉलर जमा हुए थे लेकिन सरकार ने इस फंड में से थोडा़ ही फंड पुरानी इमारतों को मजबूत करने में खर्च किया, बाकी सारा पैसा अन्य कामों में खर्च कर दिया गया।
भूकंप के चलते तुर्किये के 10 प्रांतों में भारी तबाही हुई है। ऐसे में रेसेप तैयप एर्दोगन के सामने इन प्रांतों को फिर से अपने पैरों पर खडा़ करने और पुननिर्माण की बडी़ चुनौती होगी। बीते दिनों जब एर्दोगन ने भूकंप प्रभावित इलाकों का दौरा किया था तो उन्हें लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। जिसके बाद एर्दोगन ने एलान किया था कि वह एक साल में ही फिर से इमारतों का पुनेर्निमाण करेंगे और लोगों को उनका घर देने की बात कही थी, लेकिन जिस पैमाने पर तुर्किये में तबाही हुई है, उससे उबरने के लिये तुर्किये को अरबों डॉलर की जरूरत होगी और एक साल में ही सारे घर बनाना भी लगभग असंभव काम है। यही वजह है कि एर्दोगन के लिए भूंकप की इस चुनौती से पारा पाना बेहद मुश्किल हो सकता है। आपको बता दें कि तुर्किये में आए भ्ूकंप से अब तक 24,500 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल हो गए हैं। अभी भी मौत का यह आंकडा़ और बढ़ सकता है।

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