उंगली पर लगी स्याही का राज पता है? कहां बनती है और कौन बनाता है, जानिए सब कुछ
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत आज 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान हुआ है। मतदान के बाद तमाम वोटर सोशल मीडिया पर उंगली पर लगी स्याही के साथ फोटो साझा कर रहे हैं, इसका क्रेज लोगों के सर चढ़कर बोलता है। लेकिन क्या आपको इस स्याही का राज पता है, आखिर ये बनती कैसे है, इसमें होता क्या है, इसे बनाता कौन है?
चलिए आपको आज वोटिंग वाली इस स्याही के बारे में कुछ रौचक जानकारी देते हैं।
वोट देने के बाद लगाई जाने वाली स्याही में सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो आपकी त्वचा अथवा नाखून के संपर्क में आने के बाद और गहरा हो जाता है और गाढ़ा निशान छोड़ देता है। सिल्वर नाइट्रेट की खास बात ये है कि इसका निशान कई दिन तक नहीं जाता है।
सिल्वर नाइट्रेट तमाम तरह दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है। सिल्वर नाइट्रेट की एक और महत्वपूर्ण बात ये है कि ये फोटो सेंसिटिव है और इसे सीधे सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से बचाना चाहिए, अन्यथा आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है।
इस स्याही की एक और रौचक बात ये है कि इस स्याही में सिल्वर नाइट्रेट के अलावा और कई चीजें इस्तेमाल की जाती हैं, लेकिन इसे बनाने वाली कंपनी किसी और के साथ इस फॉर्मूले को शेयर नहीं करती।
एक और रौचक जानकारी ये है कि 1962 से आज तक सिर्फ एक कंपनी चुनाव वाली स्याही बनाती आ रही है। इस कंपनी का नाम है मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड। ये कर्नाटक सरकार की कंपनी है और इसकी शुरुआत साल 1937 में नलवाड़ी कृष्णा राजा वाडियार ने की थी।
अब इस स्याही की कीमत भी जान लीजिए। चुनाव वाली स्याही की एक शीशी से कम से कम 700 उंगलियों पर पक्की स्याही लगाई जा सकती है। हर शीशी में 10 एमएल स्याही होती है और इसकी कीमत करीब 127 रुपये है। इस लिहाज से 1 लीटर की कीमत करीब 12,700 रुपये होगी।
एक और दिलचस्प बात ये है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में अब तक की रिकॉर्ड स्याही इस्तेमाल की जा रही है। इस बार 26.5 लाख शीशी स्याही यूज होगी।