उत्तराखण्ड के युवा बेरोजगार अभी यूकेएसएसएससी के पेपर लीक कांड से उबर भी नहीं पाये थे कि उन्हें दूसरा तगड़ा झटका लग गया है। उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने अब 8 भर्ती परीक्षाओं पर रोक लगा दी है। स्नातक स्तरीय भर्ती में पेपर लीक प्रकरण के बाद आयोग ने यह कदम उठाया है। इस एक कदम से तैयारी करने वाले हजारों युवाओं को झटका लगा है, अब उन्हें और इंतजार करना होगा। ये इंतजार कब तक चलेगा किसी को पता नहीं है। पिछले दिनों उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से पहले एस राजू ने शासन को भर्तियां रोकने का पत्र भेजा। पत्र में उन्होंने कहा कि, इन भर्तियों को कराने के लिए पिछले 8 महीने से परीक्षा नियंत्रक नहीं है। जब तक शासन परीक्षा नियंत्रक तैनात नहीं करता तब तक परीक्षाएं नहीं हो पाएगी। दिसंबर में परीक्षा नियंत्रक नारायण डांगी सेवानिवृत्त होने के बाद कामचलाऊ व्यवस्था के तहत सचिव के पास परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी है। वहीं कार्मिक विभाग का कहना है कि, परीक्षा नियंत्रक पद पर तैनाती के लिए प्रक्रिया चल रही है। आयोग द्वारा जिन भर्तियों पर रोक लगाई गई है, उनकी आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इनमें कुल 4,200 पदों पर होने वाली 8 भर्तियां हैं। इनमें फॉरेस्ट गार्ड के 894 पद, पटवारी व लेखपाल के 520 पद, पुलिस कांस्टेबल के 1521 पद, पुलिस एसआई के 272 पद, लैब असिस्टेंट भर्ती के 200 पद, सहायक लेखाकार री एग्जाम के 662 पद, उत्तराखंड जी भर्ती के 76 पद और गन्ना पर्यवेक्षक के 100 पद शामिल हैं। इन पदों के लिए युवाओं ने बड़ी संख्या में आवेदन किया है। करीब तीन लाख से ज्यादा युवाओं को इन भर्तियों का इंतजार है। इधर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में कई और परीक्षाओं में भी नकल की बात सामने आई है। हालांकि, मामले पुराने होने के चलते पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में कार्रवाई नहीं हो पा रही है। बताया जा रहा है कि हाल में गिरफ्तार किए गए कोर्ट के कर्मचारी भी संदेह के घेरे में हैं। दरअसल, पेपर लीक मामले में जिस दिन से गिरफ्तारियां शुरू हुई हैं, रोज नई-नई बातें सामने आई हैं। पहले करीब 27 ऐसे अभ्यर्थियों के नाम सामने आए थे, जिन्होंने नकल करके विभिन्न परीक्षाएं पास कीं और नौकरी हासिल की। सूत्रों के मुताबिक अब कोर्ट के कर्मचारियों ने भी एसटीएफ के सामने नकल की बात स्वीकारी है। बताया जा रहा है कि वह खुद परीक्षाओं में नकल से ही पास हुए हैं। यही नहीं, कई कर्मचारियों के पास पर्याप्त अर्हता भी नहीं है।