उत्तराखंड में कभी भी हो सकती है महाराष्ट्र के रामगढ़ जैसी घटना, राज्य के 300 गांवों में भीषण आपदा का खतरा
अभी कुछ दिन पहले महाराष्ट्र में रामगढ़ के इरसालबाड़ी में भयानक भूस्खलन से समूचा गांव मलबे में समा गया और 16 लोगों की मौत हो गई। महाराष्ट्र की तरह की ऐसे घटना उत्तराखंड में भी घट सकती है। उत्तराखंड में भी करीब 300 गांव ऐसे ही खतरे में हैं, जिनके पुनर्वास की फाइल तो बहुत पहले तैयार हो गई है, लेकिन परवान नहीं चढ़ पाई है। उत्तराखंड में साल-दर-साल अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूकटाव, भूधंसाव, भूकंप जैसी आपदाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है। ऐसे गांवों की संख्या भी बढ़ती जा रही है, जो आपदा की दृष्टि से संवेदनशील हैं। तमाम गांवों में भवन में दरारें हैं और बुनियाद हिलने से खतरा बना हुआ है। इन आपदा प्रभावित गांवों का पुनर्वास किया जाना है। वर्तमान में इनकी संख्या तीन सौ का आंकड़ा पार कर चुकी है। इनमें से कई गांवों के लोग खुद अपना घर छोड़कर विस्थापन कर चुके हैं।
बात उनकी गांवों की करें जिन्हें विस्थापित किया जाना है तो इसमें पिथौरागढ़ जिले सर्वाधिक 129 गांव विस्थापित होने हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी में 62, चमोली में 61, बागेश्वर में 58, टिहरी में 33 और रुद्रप्रयाग में करीब 14 गांवों को पुनर्वासित किया जाना है।
राज्य सरकार का कहना है कि विस्थापन एवं पुनर्वास नीति के अंतर्गत आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास में वो जुटी है। शीघ्र ही इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी है। पुनर्वास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 31 गांवों के 336 परिवारों का पुनर्वास किया गया। मगर अभी बड़ी आबादी है जो मौत के साये में जी रही है, बरसात की मूसलाधार बारिश इन्हें सोने नहीं देती।