चुनाव के मामलों में महिलाओं की बढ़ रही भागीदारी, चंपावत उपचुनाव में मतदान के मामलों में महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़ा
उत्तराखंड में 31 मार्च को उपचुनाव मतदान हुए। जिनमे देखा गया कि सबसे अधिक मात्रा में महिलाओं में बढ़ चढ़ के भाग लिया। भले ही महिलाएं राजनीति में उतनी सक्रिय नहीं रहती हैं। लेकिन चुनाव के दौरान उनकी भागीदारी से दिखा दिया कि वह राजनीति मुद्दों में पुरुषों से कहीं आगे है। चम्पावत में लिंगानुपात के मामले में पुरुष महिलाओं से कहीं आगे है। लेकिन चम्पात उपचुनाव मतदान के दौरान महिलाओं में अपनी अहम भूमिका निभाई। इस बार चम्पावत में जहां पुरुषों की 52 फीसदी तो महिला मतदाताओं की संख्या 48 फीसद तक रही। पिछले कुछ दशकों से महिलाओं ने राजनिति में अपना योगदान बढ़ाना शुरू कर दिया है। वर्ष 2012 के बाद हुए विधानसभा चुनाव में लगातार लोकतंत्र की ओर महिलाएं बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी बढ़ा रही हैं। राजनीति में महिलाएं को 33 फीसद आरक्षण किया हुआ है। साथ ही महिलाओं को पंचायत में 50 फीसद प्रतिनिधित्व का अधिकार मिल गया। अब वह विधानसभा और लोकसभा में भी आरक्षण की तरफदारी कर रही है।
उत्तराखंड बनने के बाद वर्ष 2002 में पहला व 2007 में दूसरा विधानसभा चुनाव हुआ। इन चुनावों में महिला मतदाता पुरुषों से पिछड़ती हुई दिखाई दी। लेकिन वर्ष 2012 के बाद महिलाओं ने पिछे मुड़कर नहीं देखा। महिला मतदाताओं की संख्या कम होने के बावजूद वह पुरुष मतदाताओं को पछाड़ते हुए दिखाई दी। अब तक प्रदेश के कई विधानसभाओं में महिलाएं निर्णायक की भूमिका में दिखाई देती हैं।