यशपाल आर्य की घर वापसी से कांग्रेस गदगद, सोमेश्वर से चुनाव लड़ सकते हैं आर्य
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और नैनीताल से विधायक उनके पुत्र संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उत्तराखण्ड कांग्रेस को जैसे संजीवनी मिल गई है। पिता-पुत्र की घर वापसी से कांग्रेसी नेता गदगद हैं। उधर दिल्ली में यशपाल आर्य अपने बेटे संजीव के साथ कांग्रेस में शामिल हुये इधर उत्तराखण्ड कांग्रेस के नेताओं के चेहरे खिल उठे। क्योंकि विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस को अब तक भाजपा झटके पे झटका दिये जा रही थी। भाजपा ने पहले कांग्रेसी विधायक राजकुमार को तोड़ा, फिर निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पवार और राम सिंह कैड़ा को भी भाजपा में शामिल करा लिया। ऐसे में कांग्रेस में चारों ओर मायूसी सी छाई हुई थी लेकिन जैसे ही खबर आई कि दलित हृदय सम्राट सूबे के कद्दावर नेता यशपाल आर्य मय परिवार कांग्रेस में शामिल हो गये हैं तो कांग्रेसी नेता झूम उठे।
1989 में यूपी के दौर में खटीमा-सितारगंज से बतौर विधायक पारी की शुरूआत करने वाले यशपाल आर्य दो बार खटीमा, दो बार मुक्तेश्वर और दो बार बाजपुर से विधायक रह चुके हैं। वह उधम सिंह नगर, नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर की करीब करीब 10 सीटों पर जबर्दस्त पकड़ रखते हैं। इनमें से कई सीटों पर तो वे चुनाव भी लड़ चुके हैं। इन्हीं सीटों में एक सीट खटीमा की भी जहां से मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी विधायक हैं। 2017 के चुनावों में पार्टी से खिसक चुके दलित वोट बैंक को साधने में जुटी कांग्रेस के लिये यशपाल आर्य की घर वापसी अदाउद्दीन के चिराग से कम नहीं है। ऐसे में यशपाल का जाना भाजपा के लिये बड़ा झटका माना जा रहा है और इस बात से भाजपा भी पूरी तरह वाखिफ है कि उसने क्या खो दिया है।
यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने से सूबे की राजनीति में जबर्दस्त बदलाव महसूस किये जा रहे हैं। यशपाल आर्य की कांग्रेस में घर वापसी ऐसे वक्त में हुई है जब चुनावी सर्वे में भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही थी और सीएम चेहरे के रूप में कांग्रेस के हरीश रावत का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में राजनीतिक पंडित इस बात के कायस लगा रहे हैं कि कांग्रेस ने 2022 में वापसी का सपना देख रही भाजपा के समीकरण रातो रात हिला कर रख दिये हैं।