World Photography Day: जानिए फोटोग्राफी का इतिहास….
-आकांक्षा थापा
अपनी यादों को तस्वीरों में कैद करना सबको पसंद है, हम सबने कभी न कभी एक फोटोग्राफर का किरदार निभाया है… एक तस्वीर 1000 शब्दों के बराबर जस्बातबयान कर सकती है। हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है… इस दिन फोटोग्राफी करने के शौकीन दुनिया भर में एक साथ आते हैं और तस्वीरें लेने की कला का जश्न मनाते हैं। फोटोग्राफी के विज्ञान ने पूरे मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक तस्वीर भावों, भावनाओं, विचारों और क्षणों को तुरंत कैप्चर कर सकती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें अमर कर सकती है….
विश्व फोटोग्राफी दिवस की उत्पत्ति 1837 में फ्रांस में हुई थी. जोसेफ नाइसफोर निएप्स और लुइस डॉगेर नामक दो फ्रांसीसी नागरिकों ने ‘देग्युरोटाइप’ का आविष्कार करके पहली बार फोटोग्राफिक प्रक्रिया विकसित की थी. फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंसेज ने आधिकारिक तौर पर 19 जनवरी, 1837 को देग्युरोटाइप के आविष्कार की घोषणा की. माना जाता है कि घोषणा किए जाने के 10 दिन बाद, फ्रांसीसी सरकार ने आविष्कार के लिए इसका पेटेंट खरीदा और इसे बिना किसी कॉपीराइट के मनाने की घोषणा की.
जबकि फ्रांसीसी आविष्कार को व्यावसायिक फोटोग्राफी की शुरुआत माना जाता है, 1839 में विलियम हेनरी फॉक्स टैलबोट ने तस्वीरें लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने की शुरुआत की. टैलबोट ने पेपर बेस्ड सॉल्ट प्रिंट का इस्तेमाल करके एक अधिक बहुमुखी फोटोग्राफिक प्रक्रिया का आविष्कार किया. यह प्रणाली मैटल बेस्ड देग्युरोटाइप के लिए प्रतिस्पर्धा के रूप में उभरी.
कैमरे का आविष्कार और तकनीक का विकास हमें तस्वीरें खींचने में सक्षम बनाता है। ये हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सेल्फी लेने से लेकर युद्धों और प्रदर्शनों की तस्वीरें लेने तक, विश्व फोटोग्राफी दिवस तस्वीरें लेने की कला को सेलिब्रेट करने का मौका देता है. यह दिन वन्यजीव फोटोग्राफी के प्रति उत्साही, फोटो जर्नलिस्ट और फैशन फोटोग्राफर और यहां तक कि शौकिया फोटोग्राफरों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. वे विचारों को साझा करने और इस दिन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक साथ एक मंच पर आते हैं.