-आकांक्षा थापा
विश्व भर में हर साल आज यानि पांच जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया जाता है। बढ़ते प्रदुषण स्तर और जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण को होने वाले खतरे और नुकसान के बारे में जागरूकता फैलाना ही आज के दिन का उद्देश्य है। पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस 1974 में मनाया गया था….
आपको बता दें की औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण को हो रहे संभावित नुकसान को लेकर संयुक्त राष्ट्र को जानकारी दी गई, जिसके बाद पर्यावरण को और ज्यादा होने वाले नुकसान से बचाने के लिए 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने के लिए नामित किया गया। इस दिन, सरकारें, गैर सरकारी संगठन और नागरिक पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने और पर्यावरण पर मानव गतिविधि के पड़ने वाले प्रभाव पर रौशनी डालते हैं।
क्यों मनाया जाता है विश्व पर्यावरण दिवस?
आज से कई साल पहले, सन् 1972 में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया।
इसी सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ… और तबसे से प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। साथ ही, इस दिन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था।
यही नहीं, उक्त गोष्ठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने ‘पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव’ विषय पर व्याख्यान दिया था। वही, पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में यह भारत का प्रारंभिक कदम था। तब से लेकर आजतक हम प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं।
साथ ही, इसके बाद पर्यावरण के हिट को देखते हुए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। उसके जल, वायु, भूमि – इन तीनों से संबंधित कारक तथा मानव, पौधों, सूक्ष्म जीव, अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।