Valmiki Jayanti: जानिए महाकाव्य वाल्मीकि से जुड़ा इतिहास और आज के दिन का महत्व …
देशभर में हर साल शारद पूर्णिमा के दिन वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है, इस साल 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है, यानि आज के दिन ही वाल्मीकि जयंती मनाई जाएगी। वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के प्रथम कवि माने जाते हैं…. साथ ही वह एक महान ऋषि और महाकाव्य रामायण के लेखक थे. .
वाल्मीकि जयंती का महत्व
भारत के अलग-अलग हिस्सों में वाल्मीकि जयंती के दिन सामाजिक और धार्मिक आयोजन किए जाते हैं.. वाल्मीकि को महर्षि वाल्मीकि के नाम से भी जाना जाता है.. महर्षिक वाल्मीकि के जन्म को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित है.. कहा जाता है कि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और देवी अदिति के 9वें पुत्र और उनकी पत्नी चर्षिणी से हुआ था.. माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने ही दुनिया में सबसे पहले श्लोक की रचना की थी..
वहीँ, वाल्मीकि जी को एक लेकर एक प्रचलित कहानी ये भी है कि जब भगवान राम ने माता सीता का त्याग किया था तो माता सीता ने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही निवास किया था.. और इसी आश्रम में लव-कुश का जन्म हुआ था.. यही कारण है की लोगों के बीच वाल्मीकि जयंती का विशेष महत्व है…
ये है वाल्मीकि से जुड़ा इतिहास
महर्षि वाल्मीकि को लेकर इतिहास में कई कहानियां प्रचलित हैं.. पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि एक डाकू थे और उनका नाम रत्नाकर था। हालाँकि बाद में उन्हें एहसास हुआ की वे गलत रास्ते पर जा रहे हैं तब उन्होंने धर्म का मार्ग अपनाया … उन्हें देवर्षि नारद ने राम नाम का जप करने की सलाह दी थी… जिसके बाद वाल्मीकि जी राम नाम में लीन होकर एक तपस्वी बन गए… उन्होंने तपस्या की और इसी से प्रसन्न होकर ही ब्रह्मा जी ने उन्हें ज्ञान का भंडार दिया और फिर उन्होंने रामायण लिखी… जो कि हिंदू धर्म में आज एक धार्मिक ग्रंथ के तौर पर पूजी और पढ़ी जाती है.