उत्तराखंड में बर्ड फ्लू का साया ; 27 दिनों में 1181 परिंदो की मौत
देश भर में बर्ड ब्लू अपने पाँव पसार रहा है, और अब उत्तराखंड भी इस की चपेट में आ गया है। हालांकि राज्य में बर्ड फ्लू के चलते सावधानियाँ बरती जा रही है , लेकिन फिर भी परिंदो की मौत का आंकड़ा 1000 पार कर गया। जहाँ पोल्ट्री फार्म और पालतू पक्षियों पर कोई आंच नहीं आयी, वहीँ जंगल में रहने वाले पक्षियों के लिए बर्ड फ्लू मुसीबत का सबब बन चुका है। बात करें आकड़ों की, तो प्रदेश भर में पिछले 27 दिनों में विभिन्न प्रजातियों की 1181 पक्षियों की मौत हो चुकी है। जिनमे से सबसे अधिक मौतें कौओं और कबूतरों की हुई है। यही नहीं , सबसे अधिक पक्षियों की मौत देहरादून वन प्रभाग के अंतर्गत हुई हैं।
दरअसल, राज्य में पक्षियों की मौतों का सिलसिला 8 जनवरी से शुरू हुआ था। जिसके बाद मृत पक्षियों के सैंपल्स को जांच के लिए लखनऊ स्थित लैब में भेजा गया। सबसे पहले देहरादून और कोटद्वार में मृत मिले कौओं के सैम्पल्स से बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई। राहत की बात यह थी की इन पक्षियों कि जांच में जो वाइरस सामने आया वह कोरोना वायरस से कम घातक था। बेशक यह वाइरस मनुष्य के लिए इतना घातक नहीं था , लेकिन पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो गया है । ख़ास तौर पर जंगली परिंदों पर इसका बड़ा असर है ।
वन विभाग से मिले आँकड़ों की बात करें तो 8 जनवरी से 5 फरवरी के बीच कुल 1181 परिंदे बर्ड फ्लू से मारे गए हैं। इनमें करीब 977 कौवे और 120 कबूतर शामिल हैं। यही नहीं, करीब 30 अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी बर्ड फ्लू से मरे गए । अगर बात की जाए उत्तराखंड के प्रभागों की, तो देहरादून वन प्रभाग में सबसे अधिक 962, लैंसडौन में 45, तराई केंद्रीय में 42, मसूरी वन प्रभाग में 39 पक्षियों की मौत हुई। इन हालातों को देखते हुए वन प्रभागों में निरंतर निगरानी रखी जा रही है।
-आकांक्षा थापा