उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आज दूसरा दिन है, इस बीच सदन के बाहर कई आंदोलनकारियों ने हंगामा काटा। विधानसभा सदन के बाहर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर विधानसभा कूच किया। इस दौरान राज्य आंदोलनकारियो की तीन एहम मांगे रहीं, भू-कानून, वनाधिकार एवं उत्तराखंडवासियों के लिए ओबिसी कानून। इस बीच, स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग में फार्मेसिस्ट भर्ती की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे बेरोजगार डिप्लोमा (एलोपैथिक) फार्मेसिस्टों ने विधानसभा कूच किया। लेकिन पुलिस ने उन्हें रिस्पना पुल से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इसपर गुस्साए बेरोजगार फार्मेसिस्ट वहीं धरने पर बैठ गए।
वहीँ भोजन माताएँ भी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरीं, लेकिन उन्हें भी रिस्पना पल पर रोका गया… इससे आक्रोशित भोजन माताएं वही धरना लगाए बैठ गयी, और धरना प्रदर्शन करने लगी। उनका कहना है कि हर माह सिर्फ दो हजार दिए जाते हैं, जिससे इस महंगाई के ज़माने में गुजारा करना असंभव है…
प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की प्रांतीय अध्यक्ष हंसी गर्जोला ने कहा कि भोजनमाताएं 18-19 वर्षों से स्कूलों में खाना बनाने का काम कर रही हैं। जहाँ उनका काम सिर्फ खाना बनाना है, उन्हें इसके अलावा साफ-सफाई, बागवानी, चाय-पानी पिलाना, स्कूल बंद करना और खोलने का काम भी करना पड़ता है। और बीमारी हो या कोई भी ज़रूरी काम, उन्हें अवकाश लेने की अनुमति नहीं है… उन्हें सिर्फ 11 माह का वेतन ही मिल पता है, ऐसे में अपना घर चलाना इन भोजन माताओं के लिए असंभव हो जाता है…
वहीँ, प्रशिक्षित योग बेरोजगारों ने भी नौकरी दिये जाने की मांग की। लम्बे समय से बेरोज़गारी का शिकार हुए प्रशिक्षित योगी भी अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे। प्रशिक्षित योग बेरोजगारों की सरकार से पक्की नौकरी सुनिश्चित करने की मांग रही…. योग में प्रशिक्षण लेने के बावजूद भी आज ये युवा बेरोज़गार बैठे हैं, अपने धरने से उन्होंने सरकार को उत्तराखंड में योग की हकीकत दिखाई। बेरोज़गारी से परेशान फार्मेसिस्ट युनीयन ने भी रोज़गार की मांग को लेकर धरना दिया। पक्के रोज़गार की मांग को लेकर फार्मेसिस्ट युनीयन भी आक्रोश में देखने को मिला।