राज्य स्थापना के समय उत्तराखंड के लोगों ने उत्तराखंड को पर्यटन राज्य बनाने का सपना देखा था। पर्यटन को राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ माना जाता है। लेकिन 22 साल बाद भी हम पर्यटन राज्य के सपने को पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए हैं। अभी चारधाम यात्रा और तीर्थां यात्रा के सहारे से ही पर्यटन उद्योग का पहिया घूम रहा है। आज भी ब्रिटिश काल से स्थापित मसूरी व नैनीताल ही देश दुनिया से आने वाले पर्यटकों की सैरसपाटे के विकल्प हैं। एक अनुमान के अनुसार, उत्तराखंड अर्थव्यवस्था में राज्य के पर्यटन सेक्टर का 35 फीसदी योगदान है। जानकारों का मानना है कि यह 50 फीसदी तक होना चाहिए। इसके लिए अवस्थापना विकास पर तो कार्य हुए हैं, लेकिन नए पर्यटक स्थल तैयार नहीं हो पाए। 2013 की आपदा और 2020 के कोरोना महामारी के झटकों ने राज्य के पर्यटन कारोबार को तबाही के मंजर पर ला दिया था। कारोबार से जुड़े करीब ढाई से तीन लोगों की आजीविका और 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार छिन गए थे। वहीं कोरोना के बाद से फिर से उत्तराखंड का पर्यटन कारोबार गुलजार होने लगा है। पिछले छह महीनों में चारधाम यात्रा पर करीब 44 लाख तीर्थयात्री उत्तराखंड आए। ये एक रिकार्ड है। लेकिन पर्यटन स्थल तैयार करने के लिए 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना का सपना अभी सुस्त गति से आगे बढ़ रहा है। अभी तक चयनित स्थलों में अवस्थापना विकास की डीपीआर तक नहीं हो पाई है। देश दुनिया के सैलानियों उत्तराखंड के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। धार्मिक पर्यटन में राज्य की पहचान है। लेकिन सरकार का 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना का सपना कब धरातल पर आएगा ये सवाल अभी बाकी है।