दुनिया ने देखी उत्तराखंड की दरियादिली, नेपाली बच्ची के लिए खोला अंतरराष्ट्रीय पुल
नेपाल के बड़बोले विवादित बयानों के बावजूद भारत ने अपनी दरियादिली नहीं छोड़ी है। उत्तराखंड ने नेपाल की एक दुधमुंही बीमार बच्ची की जान बचाने के लिए तमाम नियम-कानून और विवादों को दरकिनार कर सोमवार के दिन थोड़ी देर के लिए अंतरराष्ट्रीय झूला पुल खोल कर मानवता का सबूत दुनिया को दिया है।
इसके साथ ही दिल खोल कर दिखा दिया कि देवभूमि इतनी महान क्यों है । बॉर्डर खुलते ही सीमा पार अपनी लाडली एक महीने की बेटी को तड़पते देख रहे माँ बाप की जैसे साँसे लौट आयी हो।हाँथ जोड़े आंखों में आंसू लिए इस मजबूर माता पिया की ज़ुबान पर उस वक़्त भारतीय अफसरों के इस मानवता के लिए यही अहसास थे कि आखिर यूं ही भारत को महान नहीं कहा जाता। इसके बाद प्राथमिक उपचार के बाद बीमार मासूम को धारचूला के बलुवाकोट में रखा गया है। आज उस बच्ची को बेहतर इलाज के लिए पिथौरागढ़ जिला अस्पताल लाया गया है
आप को बता दें कि भारत से लगे नेपाल के मल्लिकार्जुन गांव की एक बच्ची का लंबे समय से दार्चुला के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। बच्ची की आंतों में गांठें बनने के कारण उसकी हालत गंभीर हो गई है। इसे देखते हुए नेपाल के चिकित्सकों ने परिजनों को उसे भारत ले जाने की सलाह दी।
लेकिन झूलापुल बंद होने के कारण परिजन बेहद परेशान और निराश थे इसके बाद नेपाल के समाजसेवियों के जरिये परिजनों ने पिथौरागढ़ जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई तो भारतीय अफसरों ने मासूम की जिंदगी बचाने के लिए तुरंत देरी किये बिना झूला पुल खोल दिया ।
पुल से 138 लोग सीमा पार कर आये इधर गए उधर–
महज 20 मिनट के लिए झूला पुल खुलने पर दोनों देशों के 138 लोगों ने पुल से आवाजाही की। एसएसबी के इंस्पेक्टर कश्मीर सिंह ने बताया कि बीमार बच्ची को इलाज के लिए भारत लाया जाना था। इसके अलावा कई अन्य लोगों ने भी भारत और नेपाल में आवाजाही करनी थी।
मामले की गंभीरता को समझते हुए भारत और नेपाल प्रशासन के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई। जिसके बाद दोनों देशों की सहमति से पुल खोलने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया इस दौरान 88 लोग नेपाल से भारत और 50 लोग भारत से नेपाल गए।
आज इस मानवता और इंसानियत की मिसाल को उत्तराखंड के लिए ही नही पूरी दुनिया के लिए सबक माना जा रहा है क्योंकि इंसान की ज़िंदगी बचाने से बड़ा परोपकार कोई और नहीं है ये सबक आज उत्तराखंड ने नेपाल चीन सहित तमाम देशों को दिया है।