Thursday, October 10, 2024
उत्तराखंडदेहरादून

नेता प्रतिपक्ष और नए अध्यक्ष को लेकर फैसला लेंगी सोनिया गाँधी

उत्तराखंड में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता का चयन अभी तक नहीं हो पाया है। मामला पार्टी हाईकमान के हाथ में है और प्रदेश अध्यक्ष समेत कांग्रेसी विधायक तीन दिन से दिल्ली डटे हुये हैं। इतना ही नहीं प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर भी पेच फंसा हुआ है। कांग्रेस स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंट गई है, पूर्व सीएम हरीश रावत और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के पक्ष में विधायक आपस में बंट चुके हैं।
एक ओर हरीश रावत अपने मन मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष चाहते हैं और दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष बनने पर प्रदेश अध्यक्ष का पद अपने चहेते को देना चाहते हैं। तीन दिन से दिल्ली में कांग्रेस विधायकों और प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव के बीच मंत्रणा चल रही है। मगर अभी तक पार्टी हाईकमान किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। अब गुरूवार को यानी आज फैसला होने की उम्मीद है। इधर कांग्रेस में चल रही नेतृत्व की घमासान पर भाजपा ने चुटकी ली है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स ने हरीश रावत को बधाई देते हुये प्रीतम की बिदाई का एलान कर दिया है।
2022 के विधानसभा चुनाव से महज चंद महीनों पहले नेता प्रतिपक्ष के चयन की कवायद के साथ ही पार्टी में एक खेमे ने प्रदेश अध्यक्ष को भी बदलने की मुहिम तेज कर दी है। हरीश रावत समर्थकों का खेमा नेता नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के पदों पर ब्राहमण-ठाकुर के फार्मूले की पैरवी कर रहा है। चूंकि कांग्रेस विधायक दल में अब ब्राह्मण चेहरा नहीं है, लिहाजा प्रदेश अध्यक्ष पद किसी ब्राह्मण को सौंपने की पैरवी की जा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष का पद उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा को सौंपने के पक्ष में हैं। वहीं दूसरे खेमे की ओर से हरिद्वार जिले से पार्टी विधायक ममता राकेश और पार्टी के वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल के नाम को आगे बढ़ाया जा रहा है। विधायकों में प्रीतम सिंह, करन माहरा, आदेश चैहान व राजकुमार एक पाले में तो गोविंद सिंह कुंजवाल, हरीश धामी, फुरकान अहमद, ममता राकेश और मनोज रावत दूसरे पाले में खड़े हैं। विधायक काजी निजामुद्दीन तटस्थ बताए जा रहे हैं। कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान से प्रदेश के नेताओं में भी बेचेनी बढ़ती जा रही है। अलग-अलग खेमों में बंटी कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं और भाजपा की बयानबाजी पर आगबबूला हैं।

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