Wednesday, April 24, 2024
राष्ट्रीय

कैबिनेट ने भारत नेट योजना को दी मंजूरी, खर्च होंगे 29,432 करोड़ रुपए

-आकांक्षा थापा

भारतवासियों के लिए एक खुशखबरी है… बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में देश के 16 राज्यों में भारतनेट के लिए 19,041 करोड़ रुपये के वायबिलिटी गैप फंडिंग को मंजूरी दे मिल गई है। जी हाँ, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा देश के 16 राज्यों के गांवों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा पहुंचाने के लिए पीपीपी मॉडल के जरिए भारतनेट कार्यान्वयन रणनीति को अनुमति मिल गयी है। साथ ही, उन्होंने बताया कि भारत नेट योजना के लिए 29,432 करोड़ रुपए की जरूरत होगी।

इस पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इन्फॉर्मेशन हाईवे हर गांव तक पहुंचे इस दिशा में सरकार ने एतिहासिक फैसला लिया है। पिछली 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किया था कि 1000 दिन में छह लाख गांवों में भारतनेट के माध्यम से ऑप्टिकल फाइबर ब्रॉडबैंड लाएंगे।

उन्होंने आगे कहा, ‘इसमें भारत सरकार की की ओर से वायबिलिटी गैप फंडिंग 19,041 करोड़ रुपये की होगी। ये हम देश के तीन लाख 61 हजार गांवों में जो 16 राज्यों में हैं वहां पीपीपी मॉडल के माध्यम से ला रहे हैं। हमने इसे 16 राज्यों में नौ पैकेज बनाया है। किसी एक प्लेयर को चार पैकेज से अधिक नहीं मिलेगा।’

कैबिनेट ने पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) को अनुमति दे दी। आपको बता दें, इस योजना का लक्ष्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सशर्त वित्तीय सहायता देकर निजी क्षेत्र के डिस्कॉम को छोड़कर सभी डिस्कॉम या बिजली विभागों की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है।

वहीं इस बैठक में केंद्र मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी मौजूद थे, उन्होंने बताया कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2 दिन पहले एक बड़े फैसले की घोषणा की थी, जिसे कैबिनेट में आज मंजूरी दे दी गई। इसके तहत जिन क्षेत्रों को Covid-19 के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे सभी क्षेत्रों को 6,28,000 करोड़ रुपए की मदद का खाका बताया था।

दूसरी ओर कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने बताया कि आज कैबिनेट ने 3,03000 करोड़ रुपए की योजना मंजूर की है, जो वितरण कंपनियां घाटे में हैं, वे इस योजना से पैसा तब तक नहीं ले पाएंगी, जब तक वे घाटा कम करने के लिए अपनी योजना न बना लें। राज्य सरकार से इस पर सहमति लें और हमको दें।

 

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