Thursday, November 7, 2024
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उत्तराखंड के सभी जेलों में लगाए जाएंगे सीसीटीवी, इन तीन नगरों में नई जेल बनाने का प्रस्ताव

नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश के जेलों में सीसीटीवी कैमरे और कुछ अन्य सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई…. उत्तराखंड के जेलों में छमता से अधिक कैदी रखे गए है और अन्य कई तरह कि परेशानिया भी सामने आ रही है.. जिसको लेकर हाई कोर्ट ने जनहित याचिका दायर की है…आईजी जेल से शपथ पत्र प्रस्तुत करने के बाद कोर्ट को बताया गया कि प्रथम चरण में देहरादून, हरिद्वार और उप कारागार हल्द्वानी में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएगे तो वही दूसरे चरण में राज्य की शेष जेलों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय दिया गया है…पिथौरागढ़, चम्पावत और ऊधमसिंह नगर में तीन नए जेल बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है .. मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में इस मामले के सुनवाई की तिथि 05 अक्टूबर तय की है

पूर्व सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जेल महानिरीक्षक से सवाल किये थे कि जेल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कितना अनुपालन किया? राज्य की जेलों में कितने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, कैदियों के लिए रहने की क्या व्यवस्था है। जेल में उन्हें क्या शिक्षा और रोजगार दिया जा रहा है, कोर्ट ने इन सभी बिंदुओं पर शपथ पत्र पेश करने को कहा था। गुरुवार को आईजी जेल से बताया गया कि कैदियों के रोजगार के लिए कौशल विकास योजना का सहयोग लिया जा रहा है। कैदियों की जीवन शैली में सुधार के लिए आर्ट ऑफ लिविंग की मदद ली जा रही है। जेलों में कैदियों के रहने के लिए आवासों के निर्माण का टेंडर निकाला गया है। पिथौरागढ़, चम्पावत और ऊधमसिंह नगर में तीन नई जेल बनने के बाद अन्य जेलों से कैदियो को वहां शिफ्ट किया जाएगा। इस समय जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं।

आपको बता दे कि संतोष उपाध्याय एवं अन्य की ओर से अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की  गयी हैं। याचिका में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने यहां की सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और वहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं। राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पदों को भरने के आदेश भी दिए। लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। याचिकाकर्ताओं की हाईकोर्ट से याचना की है कि इस संबंध में सरकार को निर्देश दिए जाएं।

हाईकोर्ट ने प्रदेश के जेलों में सीसीटीवी कैमरे और कुछ अन्य सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की… आईजी जेल से शपथ पत्र प्रस्तुत करने के बाद कोर्ट को बताया गया कि प्रथम चरण में देहरादून, हरिद्वार और उप कारागार हल्द्वानी में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएगी तो वही दूसरे चरण में राज्य की शेष जेलों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय दिया गया है…. पिथौरागढ़, चम्पावत और ऊधमसिंह नगर में तीन नए जेल बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है .. कोर्ट ने अब अगली सुनवाई की तिथि 05 अक्टूबर तय की है..

पूर्व सुनवाई में कोर्ट ने जेल महानिरीक्षक से सवाल किये थे कि जेल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का  कितना अनुपालन किया गया है? राज्य की जेलों में कितने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, कैदियों के लिए रहने की क्या व्यवस्था है। जेल में उन्हें क्या शिक्षा एवं रोजगार दिया जा रहा है, जेल मैनुअल में संशोधन किया गया है या नहीं तथा जेलों की क्षमता कितनी है। कोर्ट ने इन बिंदुओं पर शपथ पत्र पेश करने को कहा था। गुरुवार को आईजी जेल से बताया गया कि कैदियों के रोजगार के लिए कौशल विकास योजना का सहयोग लिया जा रहा है। कैदियों की जीवन शैली में सुधार के लिए आर्ट ऑफ लिविंग की मदद ली जा रही है। जेलों में कैदियों के रहने के लिए आवासों के निर्माण को टेंडर निकाला गया है। पिथौरागढ़, चम्पावत और ऊधमसिंह नगर में तीन नई जेल बनने के बाद अन्य जेलों से कैदियो को वहां शिफ्ट किया जाएगा। इस समय जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं।

संतोष उपाध्याय एवं अन्य की ओर से अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने यहां की सभी जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और वहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं। राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पदों को भरने के आदेश भी दिए। लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। याचिकाकर्ताओं की हाईकोर्ट से याचना की है कि इस संबंध में सरकार को निर्देश दिए जाएं।

 

 

 

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