Friday, April 26, 2024
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मोदी राज में क्या सचमुच अच्छे दिन आने वाले हैं ? 

अगले 1000 दिनों में देश के लगभग साढ़े चार लाख गांवों की सूरत बदलने जा रही है। जी हाँ अगर प्रधानमंत्री की घोषणा पर यकीन करें तो अच्छे दिनों की शुरुआत अब गाँव से होगी क्यूंकि अगले 1000 दिन के बाद  गांवों में युवा से लेकर महिलाओं तक के लिए नए अवसर निकलेंगे। इस योजना के तहत 20 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। इस योजना की सबसे ख़ास बात ये है कि ये सभी  नौकरियाँ गाँवों में होंगी और इस तरह से अपने गाँव से पलायन करने वाले युवाओं को अपना गांव छोड़कर अब शहर नहीं जाना होगा।

उत्तराखंड में तो पलायन का हाल इस कदर है कि सरकार को पलायन आयोग तक बनाना पड़ा है और कई सांसदों और विधायकों ने तो युवाओं से अपने पहाड़ अपने घर लौटने की मुहिम भी शुरू की है …. ऐसे में अगर पीएम मोदी गाँव के ज़रिये विकास का खाका खींचने का एलान कर रहे हैं तो उम्मीद उत्तराखंड के लाखों युवाओं और हज़ारों गाँव में भी बढ़ी है। 

आपको बता दें कि योजना के मुताबिक अगले 1000 दिन बाद गांव के लोगों को हर काम के लिए शहर का मोहताज़ नहीं होना पड़ेगा ….  अब ऐसे में सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में देश के गांवों  डिजिटल बन जायेंगे तो अच्छे दिनों की संभावना बढ़ जाएगी ….. लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी 15 अगस्त को यह घोषणा की थी कि अगले 1000 दिनों में बचे हुए सभी गांवों में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने का काम पूरा हो जाएगा। अभी देश में लगभग डेढ़ लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम पूरा किया गया है। अब बाकी बचे 4.5 लाख गांवों को ऑप्टीकल फाइबर केबल से जोड़ने का काम चल रहा है।

आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के साथ काम करने वाली कॉमन सर्विस सेंटर ने दावा किया है कि इन गांवों में ऑप्टिकल फाइबर के आते ही सभी गांवों में एक-एक कॉमन सर्विस सेंटर खुल जाएगा। एक सेंटर के खुलने से कम से कम पांच लोगों को नौकरी मिलेगी। इस हिसाब से सीधे तौर पर कम से कम 20 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। सीएससी के खुलने से शिक्षा से लेकर इलाज जैसी कई सुविधाएं ग्रामीणों को मिलेंगी और उन्हें हर काम के लिए शहर नहीं जाना होगा। हर गांव में एक-एक विलेज लेवल इंट्रेप्रेन्योर की नियुक्ति की जाएगी जो ग्रामीणों की फसलों को घर बैठे बिकवाने का इंतजाम करवाएगा। बैंकिंग की सुविधा भी गांवों में ही उपलब्ध हो जाएगी।ऑप्टिकल फाइबर के आने से वहां इंटरनेट की स्पीड तेज हो जाएगी और डेस्कटॉप को चलाना आसान हो जाएगा। ग्रामीण अपने उत्पाद को ई-कॉमर्स के जरिए बेच सकेंगे।

सरकार भी गांवों में बनने वाले उत्पादों की बिक्री के लिए उन्हें सरकारी ई-मार्केट से जुड़ने की सुविधा दे सकती है। लेकिन यह सब तभी संभव है जब इंटरनेट की स्पीड तेज हो, जो ऑप्टिकल फाइबर से ही संभव है।विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना काल में या उसके बाद भी अब ब्राडबैंड की स्पीड तेज होने पर ही अर्थव्यवस्था में तेजी संभव है। दूरसंचार विभाग के मुताबिक भारतनेट प्रोग्राम के तहत सभी गांवों को आप्टिकल फाइबर से जोड़ने का काम चल रहा है जो तय समय से काफी पीछे हो गया है। लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी ने खुद 1000 दिनों का टारगेट फिक्स कर दिया है तो उम्मीद की जा रही है कि बदलाव के इस बयार में रफ़्तार आ जाएगी

जिस उत्तराखंड के गाँव और पहाड़ आज भी स्वास्थ्य शिक्षा स्कूल आवागमन और रोज़गार जैसी दुश्वारियों से बीस साल से संघर्ष कर रही है ऐसे में दिलचस्प होया ये देखना कि क्या जब देश ऑप्टिकल फायबर और नेट कनेक्टिविटी से जुड़ जायेगा तो क्या पहाड़ की तस्वीर भी संवर जाएगी ….. 

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