- पत्रकार रतन सिंह की हत्या से यूपी की जनता और जर्नलिस्ट दोनों आक्रोश में
- क्या स्थानीय पुलिस की ढुलमुल रवैये से इस घटना को अंजाम दिया ?
- एसपी ने एसओ फेफना शशिमौली पांडेय को किया सस्पेंड
- मायावती और प्रियंका गाँधी ने उठाये योगिराज पर सवाल
- प्रयागराज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अध्यक्ष आलोक मालवीय ने की डिमांड
- 50 लाख की सहायता और नौकरी की डिमांड – आलोक मालवीय
- बलिया के फेफना में निजी चैनल के पत्रकार रतन सिंह की दुस्साहसिक अंदाज में हुई हत्या से उत्तर प्रदेश की जनता और जर्नलिस्ट दोनों आक्रोश में है। टीवी रिपोर्टर रतन सिंह की हत्या के बाद परिजनों और ग्रामीणों के साथ ही कई पत्रकार और विभिन्न संगठन के लोग सड़क पर उतर गए थे जिसके बाद पुरे यूपी में खबर से सनसनी मच गयी ….. हैरानी की बात तो ये है कि घटना के बाद लोगों ने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस की ढुलमुल रवैये से घटना को अंजाम दिया गया है। हांलाकि पुलिस ने किसी तरह उग्र भीड़ के प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाया और एसओ को निलंबित कर दिया ….
योगी सरकार को शर्मसार करने वाली इस घटना को भी आपको समझाते हैं …. टीवी पत्रकार रतन सिंह की उनके गांव में ही सोमवार की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई….. इस वारदात को तब अंजाम दिया गया जब वह गांव में ही किसी के यहां बैठने के बाद पैदल ही वापस घर जा रहे थे। ग्रामीणों की माने तो अपने ऊपर हमला होते ही जान बचाने के लिए रतन सिंह ग्राम प्रधान के घर में घुस गए। इसके बाद भी बेख़ौफ़ हमलावरों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और एक-एक कर तीन गोलियां उनके जिस्म में उतार दी। इससे रतन सिंह की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी।
वारदात की खबर लगते ही पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ ही कई पत्रकार और विभिन्न संगठनों के लोग मौके पर पहुंच गए। लोगों ने फेफना-रसड़ा मार्ग को जाम कर दिया। लोग आरोपियों की गिरफ्तारी और एसओ फेफना शशिमौली पांडेय को बर्खास्त करने की मांग करने लगे।
मौके पर पहुंचे एसपी ने एसओ फेफना शशिमौली पांडेय को सस्पेंड करने और जांच के बाद अन्य पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का भरोसा देकर जाम समाप्त कराया।बलिया में हुई पत्रकार रतन सिंह की हत्या से प्रयागराज के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों में गहरा आक्रोश है।प्रयागराज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के अध्यक्ष आलोक मालवीय ने रतन सिंह की हत्या पर रोष व्यक्त किया है और पीड़ित पत्रकार के परिवार को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपये की सरकारी मदद की मांग की है।
घटना की वजह की बात करें तो घटना का कारण पिछले साल 26 दिसंबर को दोनों पक्षों में हुई मारपीट है. इस मामले में नामजद 10 आरोपियों में से 6 को गिरफ्तार किया जा चुका है…… पुलिस की माने तो इस मारपीट के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. रतन सिंह पर दर्ज मुकदमा गलत पाया गया था. इसी में 5 अभियुक्तों पर रतन सिंह की हत्या का आरोप है…… पुलिस के अनुसार पट्टीदारों से उनका विवाद चल रहा था……
उत्तर प्रदेश में लगातार पत्रकार से प्रदेश भर के प्रेस यूनियन और जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने भी कडा विरोध जताया है ….. वहीँ इस घटना पर योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब न तो कानून का डर है और न ही कानून का राज है। प्रदेश में बढ़ते अपराध से यहां की आम जनता परेशान है वहीँ पूर्व सीएम मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध का शिकार पुलिस के साथ ही लोकतंत्र का चौथा खंभा यानी मीडिया भी है। उन्होंने आजमगढ़ मंडल के बलिया में सोमवार को पत्रकार की हत्या पर दुःख जताया है ….
कांग्रेस लीडर प्रियंका गाँधी वाड्रा ने भी ट्वीट करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार में हो रहे पत्रकारों पर हमले का ब्यौरा ज़ारी किया। ….. मामले की गंभीरता को देखता हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया और मामले में सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया गया है….. वहीँ अब कई संगठन उत्तर प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की डिमांड करने लगे हैं जो पहले से ही देश के कई राज्य में लागू हो चुका है,….