Thursday, April 25, 2024
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Mother Teresa Biography  – भारत से था दिल का रिश्ता 

पूरा विश्व आज मना रहा मदर टेरेसा का जन्मदिन 
मदर टेरेसा का असली नाम गोझा बॉयजिजू था 
भारत को अपनी कर्मभूमि बनायीं थी मदर टेरेसा ने 
इंदिरा गाँधी , ज्योति बसु से था मदर का ख़ास रिश्ता 
कोलकाता की झुगियों में मानव सेवा कर बिताया था जीवन 
अद्भुत प्रतिभा मदर टेरेसा एक रोमन कैशोलिक नन थीं
1949 में अपनी इच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी  
आज मदर टेरेसा का जन्मदिन है  मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बेनिया के स्काप्जे में हुआ था। उनका वास्तिवक नाम गोंझा बोयाजिजू था। अल्बेनियई जुबान में गोंझा का मतलब कली होता है। लेकिन इंसानियत की उस सबसे खूबसूरत कली का बचपन बेबसी में निकला था। आठ साल की उम्र में सिर से पिता का साया उठ गया। छोटी सी उम्र में ही उन्होंने मानवता और समाजसेवा का रास्ता अख्तियार कर लिया था …. इन्हें रोमन कैथोलिक चर्च ने कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा गया था।
मदर टेरेसा एक रोमन कैशोलिक नन थीं। इन्होंने सन् 1949 में अपनी इच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने १९४८ में भारतीय नागरिकता ले ली थी … और १९५० में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी ….  मदर टेरेसा की वेशभूषा की बात करें तो ये नीले रंग के पाड़ की साड़ी पहनती थीं। इनके गले में हमेशा ही एक क्रॉस चिन्ह लटका रहता था। मदर टेरेसा असाधारण व्यक्तित्व की धनी थीं। इन्हें ममता और मानवता की मूर्ति भी कहा जाता है। आज मदर टेरेसा के जन्मदिन पर जय भारत टीवी आपको मानवता को समर्पित मदर टेरेसा की दस अनमोल बातें बता रहा है …. 
चाहे अमरीका के राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन हों या रूस के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव, या जर्मनी के चांसलर हेलमट कोल या फिर यासिर अराफ़ात, सबका मदर टेरेसा के प्रति विशेष अनुराग था……. वो साल  1977 का था जब इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं तो मदर टेरेसा ज़ोर दे कर उनसे मिलने गईं. किसी ने उनसे कहा भी कि अब इंदिरा गांधी से मिलने का क्या मतलब है? जानते हैं मदर टेरेसा का जवाब क्या  था, उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा “वो मेरी दोस्त हैं.” और तो और ज्योति बसु और मदर टेरेसा वैचारिक रूप से एक दूसरे के विरोधी होते हुए भी एक दूसरे के मुरीद थे दोस्त थे और एक दूसरे की परवाह किया करते थे …….. 
मदर टेरेसा एक ऐसा नाम है जिसको याद कर दुनियाभर के करोड़ों लोगों का सर श्रद्धा से झुक जाता है …. मदर टेरेसा ने नोबेल पुरस्कार समारोह के बाद उनके सम्मान में दिए जाने वाले भोज को रद्द करने का अनुरोध किया था, ताकि इस तरह से बचाए गए धन को कोलकाता के ग़रीबों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके…… अपने जीवन के अंतिम दिनों तक उन्होंने ग़रीबों के शौचालय अपने हाथों से साफ़ किए और अपनी नीली किनारे वाली साड़ी को ख़ुद अपने हाथों से धोया था …. उनका खाना बहुत साधारण होता था… खिचड़ी, दाल और दस बीस दिन में एक बार मछली, क्योंकि मछली तो कोलकातावासियों का स्टेपिल डाएट होता था. एक चीज़ का उन्हें बहुत शौक था- वो थी चाकलेट. वो जब गुज़रीं, तो  उनकी मेज़ का ड्राअर खोला और उसमें कैडबरी चॉकलेट का एक स्लैब पड़ा हुआ था.

लेकिन ये बहुत कम लोगों को पता है कि वो अपने आश्रम से बाहर लोगों का दिया हुआ एक गिलास पानी भी स्वीकार नहीं करती थीं…. और उसके पीछे एक कारण हुआ करता था. वो कहती थीं कि न तो हम अमीर के यहाँ कुछ खाते हैं और न ही ग़रीब के यहाँ. जब हम ग़रीबों के यहाँ जाते हैं तो उन्हें एक प्याला चाय या कोल्ड ड्रिंक पिलाने में भी दिक़्क़त होती है. इसलिए अब हमने नियम बना लिया है कि हम कहीं एक बूंद पानी भी नहीं पीते.”भारत में ग़रीबों के लिए काम करने वाली नन मदर टेरेसा को जब वेटिकन में  संत की उपाधि दी गई……. उस ख़ास दिन भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कार्यक्रम में शरीक होने के लिए ख़ास तौर से वेटिकन गए गए थे …..  मदर टेरेसा को कोलकाता की झुग्गी बस्तियों में उनके काम के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था….. ऎसी महान शख्सियत को जय भारत टीवी सलाम करता है 

 

 

 

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