आज भारत में महिला सुरक्षा पर बहुत बहस हो रही है ….. हाथरस केस के बाद तो जैसे जनता में ख़ास कर लड़कियों में गुस्सा अपने उफान पर है निर्भया केस के बाद लगा था कि लड़कियों के साथ यौन अपराध थोड़ा कम होगा लेकिन आज जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं वो सामज का बेहद क्रूर चेहरा दिखाते हैं। हाथरस मामले ने बैक फुट पर खड़ी योगी सरकार को भी हिला दिया है और अब लम्बे खींचतान के बाद जांच सीबीआई के हवाले कर दी गयी है।
तो सवाल उठता है कि क्या लड़कियों को खुद अपनी सुरक्षा करनी होगी या इसी तरह बेबसी का शिकार होना पडेगा इसका जवाब है उसी उत्तर पदेश के लखनऊ में मौजूद ऊषा विश्वकर्मा और उनकी रेड ब्रिगेड टीम के पास … ऐसा आज हम इसलिए कह रहे हैं क्यूंकि उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक राजधानी लखनऊ में अपने साहस के दम पर अभी तक 75,000 से ज्यादा लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देने वाली उषा विश्वकर्मा आज महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं।
उषा ने समाज की भलाई के लिए किए गए प्रयासों से ये साबित कर दिया है कि दुनिया का अस्तित्व औरतों से ही है। ये अलग बात है कि उषा का बचपन गरीबी में बीता था और 2010 में वे झुग्गी के बच्चों को पढ़ाने जाती थीं .. दुर्भाग्य से वहीं एक लड़के ने टिन शेड में बने क्लासरूम में उनका यौन शोषण किया था जीके बाद उषा का पूरा जीवन ही बदल गया
उषा की जुबानी सुने तो वो कहती हैं – ”जब वह लड़का मेरे करीब था तो मुझमें इतना साहस भी नहीं था कि मैं उसका विरोध कर सकती। उसकी बढ़ती हरकतों को देखकर मैंने उसे दो थप्पड़ मारे और वहां से भाग निकली”। इस घटना का उषा के दिमाग पर गहरा प्रभाव हुआ। उसके बाद लगभग छह महीने तक वह डिप्रेशन में रहीं।
उषा के मन में तब ये विचार आया कि अगर मैं अपनी ही तरह की लड़कियों के लिए कोई प्रयास न कर सकी तो मेरी पढ़ाई बेकार ही जाएगी। अपनी इसी सोच के चलते 2011 में उषा ने ‘रेड ब्रिगेड’ की शुरुआत की। सबसे पहले उसने 15 ऐसी लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जो उन्हीं की तरह यौन शोषण का शिकार थीं।
इस ब्रिगेड से जुड़ी लड़कियां लाल कुर्ता और काली सलवार पहनती हैं। फिलहाल रेड ब्रिगेड से ऐसी ही 100 लड़कियां जुड़ी हुई हैं। वे स्कूल गर्ल्स को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देती हैं ताकि जरूरत पड़ने पर मनचलों से बचा जा सके।
उषा अपने मिशन के जरिये समाज में ऐसा माहौल बनाना चाहती हैं जहां महिलाएं बेखौफ रह सकें। वे ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को अपने मिशन से जोड़ना चाहती हैं। इस ब्रिगेड ने अपनी 15-20 मार्शल आर्ट तकनीक को डेवलप किया है जिसे ‘नि:शस्त्र’ नाम दिया है। इस तकनीक को उन्होंने अपने अनुभव और लड़कियों के साथ होने वाली दुराचार की घटनाओं को देखते हुए मॉडिफाई किया है।
उषा ने सरकार के ‘कवच मिशन’ के तहत 56,000 महिलाओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी है। इसके अलावा वे अब तक 50 प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे यूनिवर्सिटीज, स्कूल, रेलवे, बैंक, पुलिस और अन्य प्रोफेशन से जुड़ी महिलाओं को अपनी आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट के दांव पेंच सिखाते हुए देखी जाती हैं।
यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाली उषा आज हाथरस की बेटी के साथ हुयी दर्दनाक वारदात से बेहद गुस्से में हैं और कहती हैं कि आज समय आ गया है कि मनचलों और बलात्कारियों को खुद सबक सिखाया जाय और मौके पर ही विरोध कर उनका कानून के दायरे में रहते हुए सबक सिखाया जाये जो एक मिसाल भी बने।
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