शहीद उधम सिंह जयंती 2021 : जानिए उनकी वीरता की कहानी, 21 साल बाद देश के गुनहगारों से लिया बदला
आज को भारत माँ के वीर पुत्र शहीद सरदार उधम सिंह की पुण्यतिथि है। जिनका जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के सागरूर जिले के सुनामी गांव में हुआ था। कम आयु में माता-पिता के देहांत के बाद उनके बड़े भाई के साथ उनका बचपन अमृतसर के एक अनाथालय में गुजरा। अनाथालय में जीवन चल ही रहा था कि उनके बड़े भाई का वर्ष 1917 में देहांत हो गया। वर्ष 1919 में शहीद उधम सिंह ने अनाथालय छोड़ दिया जिसके बाद, क्रांतिकारियों के साथ मिल कर आजादी के लड़ाई में अपना योगदान दिया। शहीद उधम सिंह वर्ष 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाघ नरसंहार के प्रत्यक्ष साक्षी थे। इस घटना के बाद देश की हालत देख कर उन्होंने जलियांवाला बाघ की मिट्टी को हाथ में लेकर माइकल और डायर को जान से मरने की प्रतिज्ञा ली। देश के लिए ली गयी प्रतिज्ञा को पूरा करने ले लिए लगातार काम कर रहे थे।
आपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए उधम सिंह सही अवसर का इंतजार कर रहे थे वहीं वर्ष 13 मार्च 1940, पूरे 21 साल बाद उन्होंने आखिरकार अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। बता दें कि लन्दन के रॉयल सेंट्रल एशियन सोसाइटी के हाल में एक बैठक थी जिसमे माइकल ओ डायर और उधम सिंह भी मौजूद थे। बैठक में उधम सिंह एक मोटी किताब में रिवाल्वर छिपाकर पहुंचे, किताब के पन्नो को भी रिवाल्वर के आकर में उस तरह से काट लिया था जिससे किसी को यह शक भी नहीं हुआ कि उस किताब के अंदर कोई हथियार भी हो सकता है। बैठक के बाद उधम सिंह ने दिवार के पीछे से माइकल डायर पर निशाना साध दिया।
जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ डायर को उधम सिंह ने दो-दो गोलियों से वार किया, जिसके बाद डायर की मौके पर ही मौत हो गयी। जिसके बाद उधम सिंह ने खुद को आत्मसमर्पित कर दिया, इसी मामले में उन्हें 31 जुलाई 1940 को पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।