Wednesday, October 16, 2024
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क्या होती है TRP ?  NEWS CHANNEL की विश्वसनीयता पर उठा बड़ा सवाल 

टीआरपी को लेकर अब जो बहस छिड़ी है उसमें इसकी प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं। वरिष्‍ठ पत्रकार की राय में टीआरपी को मापने के मौजूदा स्‍वरूप में बदलाव की जरूरत है। इसको लेकर कई बार आवाज भी उठी, लेकिन हुआ कुछ नहीं। सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से समय समय पर चैनल्‍स पर हुए मीडिया ट्रायल्‍स को लेकर गाइडलाइंस जारी की गई थीं। इसका असर भी देखने को मिला था। लेकिन फिर वही हो गया। एक विडंबना ये भी है कि टीआरपी को लेकर भारत में कोई ठोस कानून नहीं है। मौजूदा समय में देश के करोड़ों दर्शकों को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि आखिर टीआरपी कैसे तय की  जाती है। 

इसको तय करने वाली बीएआरसी को चाहिए कि वो इसके बारे में देश के करोड़ों दर्शकों को सटीक जानकारी दे। टीआरपी को मापने में देश के सभी राज्‍यों को शामिल नहीं किया गया है। आपको बता दें कि ये दरअसल वास्‍तविक आंकड़े न होकर एक अनुमानित आंकड़े होते हैं। भारत जैसे देश में जहां करोड़ों दर्शक मौजूद हैं वहां पर इसको मापना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में ब्रॉडकास्ट आडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया इसको मापने के लिए सैंपल्‍स का सहारा लेती है। बीएआरसी अपनी सैंपल में देश के विभिन्‍न राज्‍यों के विभिन्‍न शहरों, इलाकों को इसमें शामिल करती है। 
 
इसमें ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों को किया जाता है। इसमें भी इसकी सैंपलिंग में विभिन्‍न आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है। इसमें शामिल सभी लोग विभिन्‍न कार्यक्षेत्रों से होते हैं। बीएआरसी इसको मापने के लिए सैंपल साइज के आधार पर अपने उपकरण वहां पर लगाती है, जिसको बारओ मीटर (BAR O Meters) कहा जाता है।   बीएआरसी के मुताबिक देशभर के 45 हजार घरों में इस तरह के मीटर लगे हैं। न्‍यू कंज्‍यूमर क्‍लासीफिकेशन सिस्‍टम (NCCS) के अंतर्गत इन्‍हें 12 श्रेणियों में बांटा गया है। इसको न्‍यूएसईसी भी कहा जाता है। ये भी शिक्षा और रहन-सहन के स्‍तर पर तय किया जाता है। इसकी की 11 अलग-अलग श्रेणियां हैं। इसमें दर्शकों को अलग-अलग आईडी दी जाती है। जब भी कोई दर्शक अपनी रजिस्‍टर्ड आईडी के तहत किसी प्रोग्राम को देखता है वो आंकड़ों में दर्ज होती जाती है। 
 
 आपको जानकर ये हैरानी हो सकती है कि टीआरपी के लिए आप या देश के दूसरे करोड़ों दर्शक क्‍या देखते हैं ये बातें मायने रखती हैं, लेकिन ये 45 हजार लोग जरूर मायने रखते हैं। क्‍योंकि यही टीआरपी सेट करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके जरिए ये पता चलता है कि किस वक्‍त में कौन सा चैनल और कौन सा प्रोग्राम सबसे अधिक देखा गया। इनसे मिले आंकड़ों का बाद में विश्‍लेषण किया जाता है और विभिन्‍न चैनल्‍स की टीआरपी तय की जाती है। इन्‍हीं सैंपल के जरिए दर्शकों की पसंद और नापसंद का अनुमान लगाया जाता है।   

 

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