विधानसभा चुनाव 2022 में पहेली बार इस्तेमाल होगी ईवीएम की थर्ड जनरेशन, जानें इसकी विशेषताएं
-आकांक्षा थापा
2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं; इस बार चुनावों में ख़ास बात यह है की ,अत्याधुनिक और ज्यादा सुरक्षित एम3 ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस्तेमाल होने वाली ये एम3 ईवीएम मशीनें बिहार से यहां पहुंच चुकी हैं। इसके साथ ही निर्वाचन विभाग चुनाव की अन्य तैयारियों में जुट चुका है। आपको बता दे की विधानसभा चुनाव के लिए 18,400 बैलेट यूनिट 17,100 कंट्रोल यूनिट और 18,400 वीवीपैट पहुंच चुकी हैं। इस बार के चुनाव में जिन ईवीएम का इस्तेमाल होगा, वे ईवीएम की थर्ड जेनरेशन यानी एम-3 (मार्क-3) होगी। बिहार के विधानसभा चुनाव में भी इनका इस्तेमाल किया गया था।
जानिए एम-3 ईवीएम की ख़ासियत …..
- ईवीएम के सबसे पहले वर्जन एम-1 को चुनाव प्रक्रिया से पूरी तरह से बाहर किया जा चुका है।
इसके बाद 2006 से 2010 के बीच बनी ईवीएम की दूसरी जेनरेशन एम-2 को पिछले विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किया गया था। - एम-2 ईवीएम में कुल 64 उम्मीदवारों की वोटिंग की जानकारी दर्ज की जा सकती थी। आपको बता दें, एक बैलेटिंग यूनिट में 16 उम्मीदवार होते हैं। इससे ज्यादा उम्मीदवार होते हैं तो दूसरी यूनिट जोड़ दी जाती है। एम-2 से अधिकतम चार यूनिट यानी 64 उम्मीदवारों को ही जोड़ा सकता था।
- वहीँ, ईवीएम की तीसरी जेनरेशन एम-3 साल 2013 में आयी। इसमें 384 उम्मीदवारों की जानकारी जोड़ी जा सकती है। यानी एक साथ 24 बैलेटिंग यूनिटों को इससे जोड़ा जा सकता है।
- इसमें खुद की जांच करने का फीचर है, यानी यह मशीन खुद जांच करके बता देती है कि उसे सभी फंक्शन ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। किसी भी तरह की कोई दिक्कत हो, तो वह मशीन की स्क्रीन में दिख जाता है।
- इसमें डिजिटल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया जाता है, यानि इसमें अगर कोई बाहर की मशीन या डिवाइस लगाने की कोशिश होगी तो यह पूरा सिस्टम बंद हो जाएगा।
- यह टैंपर्ड प्रूफ प्रक्रिया पर काम करती है, यानि की अगर मशीन से छेड़छाड़ की गई या किसी बटन को बार-बार दबाया गया तो वह सिग्नल दे देती है। मशीन को खोलने की कोशिश करोगे तो यह बंद हो जाती है। इसमें चिप को एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। इसके सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ नहीं सकते।
- इसे इंटरनेट या दूसरे नेटवर्क से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है..