उत्तराखंड सरकार बनाम उमेश शर्मा मामले में धामी सरकार अब बैकफुट पर आ गई है। जी हां सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी वापस लेने के फैसले को रद्द कर दिया है। धामी सरकार ने खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी यथावत रखने का मन बना लिया है। उत्तराखंड गृह विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के काउंसिल को अवगत करा दिया है कि एसएलपी वापसी के बाबत सुप्रीम कोर्ट में दी गई अर्जी को राज्य सरकार ने जनहित में निरस्त करने का फैसला किया है। जबकि पहले उत्तराखंड सरकार ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी वापस लेने की अर्जी दी थी। और जैसे ही ये खबर सामने आई सूबे की राजनीति में हलचल बढ़ गई। सियासी गलियारों में इस घटना को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत और सीएम पुष्कर धामी के बीच चल रही अदावत से जोड़कर देखा जाने लगा।
चलिये अब आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला है क्या। दरअसल त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सीएम रहते सरकार ने खानपुर से मौजूदा विधायक उमेश शर्मा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुये राजद्रोह का मुकदमा कायम किया था। जिसके खिलाफ उमेश शर्मा नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में गये। हाईकोर्ट ने उमेश शर्मा के खिलाफ दायर राजद्रोह के मुकदमे को तो खारिज किया ही साथ में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ गंभीर आरोपों को देखते हुए सीबीआई जांच के आदेश भी दिए। जिसके बाद त्रिवेन्द्र रावत के कार्यकाल के दौरान ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती देते हुये सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी। धामी सरकार ने इसी एसएलपी को वापस लेने का निर्णय ये कहते हुये लिया था कि पूर्व सीएम खुद अपने मामले की पैरवी करें सरकार पक्षकार नहीं बनेगी। लेकिन अब अचानक धामी सरकार ने अपना निर्णय बदल दिया है। सियासी चर्चा तो ये है कि पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने भाजपा आलाकमान के माध्यम से सीएम धामी को झुकाने में कामयाबी हासिल की है।