भाई दूज 2021 : ऐसे मनाएं भाई दूज, जानिए विधि और पूजन का समय
भाई दूज का त्यौहार दिवाली के दो दिन बाद आता हैं… इस बार भाई दूज 6 नवंबर की तिथि को हैं। हिन्दू पंचांग के मुताबित यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। भाई बहन का यह पवित्र और स्नेहजनक त्यौहार साल में एक बार आता है, इस दिन बहन अपने भाई को घी का टीका लगाती हैं और उनके खुशहाल जीवन की कामना करती है इसके साथ भाई भी इस पवन अवसर पर अपनी बहनों को कुछ न कुछ उपहार भेंट करते हैं।
भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा
भाई दूज त्यौहार के पीछे एक पौराणिक कथा हैं जो मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ी है। कथा के अनुसार यमुना के अनेकों बार अपने घर बुलाने के बाद यमराज इस दिन उनके घर गए थे। अपने भाई के आने की खुशी में यमुना ने यमराज को तरह-तरह के पकवानों का भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से कोई वरदान मांगने को कहा तो ऐसे में यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मेरे घर आना और जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं रहेगा। कहते हैं तभी से भाई दूज की शुरुआत हुई।
ऐसे मनाये भाई दूज, जानिए शुभ पूजा समय और विधि
भाई दूज का शुभ समय – 01:10 बजे से 03:21 बजे
तिथि प्रारम्भ- 05 नवम्बर 2021 को 11:14 बजे
तिथि समाप्त – 06 नवम्बर 2021 को 07:44 बजे
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई से पहले ठाकुर जी का तिलक करें। इससे भाई के जीवन का संघर्ष कम होता है। इसके बाद बहनें अपने भाइयों का तिलक करें साथ ही यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रख दें। यह उपाय अपनाने से भाई के जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। तिलक करते समय यह मन्त्र का उच्चारण कारण “गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े” इसके बाद बहनें अपने हाथो से बना भोजन भाई के लिए परोसे क्योंकि मृत्यु के देवता यम ने भी इस दिन अपने बहन के घर जाकर उनके हाथों से भोजन गृहण किया था।
भाई दूज के पूजन की विधि
• भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है।
• फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।
• चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है।
• फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं।
• तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है।
• फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करते हैं।