Sunday, December 8, 2024
अंतरराष्ट्रीयस्पेशल

यूक्रेन सीमा पर तैनात रुसी सैनिक लौटने लगे वापस, जर्मनी से बातचीत के बाद लिया फैसला

रूस और उक्रैन के बीच बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के अनुसार जर्मनी से बातचीत के बाद यूक्रेन की सीमाओं पर तैनात रुसी जवान वापस लौट रहें हैं। रूस के पीछे हटने की वजह एक और वजह पश्चिमी देशों का एकजुट होकर एक गहन राजनयिक प्रयास करना हैं। बता दें कि मॉस्को से यूक्रेन की सीमाओं पर 100000 से अधिक सेना के जवान तैनात कर दिए गए थे। जिसके बाद हमले की आशंका बढ़ गयी थी।

रुस यूक्रेन के हालात इस तरह बिगड़े

  • यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस के साथ लगती है। 1991 तक यूक्रेन सोवियत संघ का सदस्य था। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव 2013 से शुरू हुआ।
  • नवंबर 2013 में यूक्रेन की राजधानी कीव में तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का विरोध शुरू हो गया। यानुकोविच को रूस का समर्थन था, जबकि अमेरिका-ब्रिटेन प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रहे थे। फरवरी 2014 में यानुकोविच को देश छोड़कर भागना पड़ा। 
  • इससे नाराज होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। साथ ही वहाँ के अलगाववादियों को समर्थन दिया। अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। तब से ही रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच लड़ाई चल रही है।
  • क्रीमिया वही प्रायद्वीप है। जिसे 1954 में सोवियत संघ
  •  के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को तोहफे के तौर पर दिया था। 1991 में जब यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ तो कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों के बीच तनातनी होती रही।
  • दोनों देशों के बीच शांति कराने के लिए पश्चिमी देश आगे आए। 2015 में फ्रांस और जर्मनी ने बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौता भी किया। इसमें संघर्ष विराम पर सहमति बनी।
  • रूस की वजह से यूक्रेन पश्चिमी देशों से अपने रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटा है, जबकि रूस इसके खिलाफ है। सदस्य न होने के बावजूद यूक्रेन के NATO से अच्छे सम्बंध हैं। 1949 में सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) की स्थापना हुई थी।
  • -अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश इस संगठन के सदस्य हैं। ट्रीटी के मुताबिक, अगर संगठन के किसी सदस्य देश पर तीसरा देश हमला करता है तो NATO के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करेंगे।
  • -रुस की मांग है कि NATO यूरोप में अपने विस्तार पर रोक लगाए। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले हफ्ते चेताते हुए कहा था कि अगर रूस के खिलाफ NATO यूक्रेन की जमीन का इस्तेमाल करता है तो अंजाम भुगतना होगा।
  • यूक्रेन NATO में शामिल होने की कोशिश कर रहा है। उधर रूस की चेतावनी पर NATO ने कहा है कि रूस को इस प्रक्रिया में दखल देने का अधिकार नहीं है।
  • रूस को डर है कि अगर यूक्रेन NATO का हिस्सा बन गया और आगे युद्ध हुआ तो गठबंधन के देश उस पर हमला कर सकते हैं। ऐसे में तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ गया है।

 

 

 

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