Friday, October 11, 2024
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उत्तराखंड की छात्रा का कमाल – ऐसा किया तो बहू बेटियों को अब नहीं आएंगे अश्लील मैसेज और फोटो 

अक्सर हमारी फेसबुक वॉल  और व्हाट्सअप में  भड़काऊ , अश्लील और पोर्न फोटो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आ जाते हैं जो बेहद आपत्तिजनक और शर्मनाक होते हैं ….. शातिर आपराधिक लोगों की नज़र ख़ास तौर पर महिलाओं और स्कूली स्टूडेंट्स की प्रोफाइल पर रहती है लिहाज़ा उत्तराखंड के रुड़की की पूर्व स्टूडेंट रिची नायक ने एक एल्गोरिद्म यानि प्रमेय डेवलप किया है। यह सोशल मीडिया के हर प्लेटफॉर्म पर पर महिलाओं को भेजी जाने वाली डर्टी मेटेरियल्स की पहचान कर उसकी रिपोर्ट करता है।
 


अभी तक सोशल मीडिया में महिलाओं के उत्पीड़न के संदिग्ध केस को यूजर या फिर संबंधित प्लेटफार्म ही रिपोर्ट करते थे। रिची नायक ने मशीन लर्निंग के अपने अनुभव का उपयोग कर  यह एल्गोरिद्म विकसित किया। ये प्रमेय इस तरह बनाया गया है कि वह सोशल मीडिया पोस्ट के कंटेंट, कॉन्टेक्स्ट और इंटेंट समझ सके। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर रिची नायक ने बताया कि छोटी उम्र से ही उनकी दिलचस्पी लड़कियों को  सोशल प्लेटफॉर्म्स पर आने वाले अश्लील सामग्री को रोकने की रही है

रिची आईआईटी रुड़की में पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान मशीन लर्निंग तकनीक से परिचित हुईं और उनकी ये रिसर्च विकीपीडिया जैसे डेटा सेट के साथ मॉडलों के प्रशिक्षण पर केंद्रित है। इसके बाद यूजर रिव्यू डेटा के माध्यम से इसे अपमानजनक भाषा से संबंधित ट्रेनिंग दी गई है। ख़ास बात ये कि गंदे और अश्लील भाषा समझने की क्षमता और कैटेगरी भी इस तकनीकी मैं शामिल की गयी है।

जानिये लड़कियों के लिए बेहद ज़रूरी एल्गोरिद्म है क्या ? 
  • कम्प्यूटर शब्दकोश में ऐसे शब्द होते हैं जो अश्लीलता परोसते हैं और डर्टी कंटेंट शेयर करते हैं लेकिन कंप्यूटर की भाषा में एग्लोरिद्म का उपयोग किसी प्रोग्राम के लॉजिक को प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है…. ऐसे में जब किसी लड़की के सोशल अकाउंट पर कोई आपत्तिजनक सामग्री कोई शेयर करेगा तो इस सन्देश को डाटा खुद बी खुद रोक देगा इस प्रक्रिया को  कंप्यूटर की भाषा में एल्गोरिद्म कहा जाता है।

    इसलिए महसूस की एल्गोरिद्म की जरूरत —–
    रिची बताती हैं कि लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं। क्योंकि, लोग इंटरनेट पर काफी वक्त बिता रहे हैं। एक वेब फाउंडेशन सर्वेक्षण के अनुसार, 52 फीसदी युवतियों और महिलाओं ने स्वीकार किया है कि उन्हें ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। इसमें धमकी भरे संदेश, यौन उत्पीड़न, बिना सहमति के निजी तस्वीरें शेयर करने जैसी घटनाएं शामिल हैं।

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