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केन्द्र सरकार पर ग्लोबल टेंडर निकाले का दबाव, राज्यों के टेंडर में विदेशी कंपनियों की दिलचस्पी नहीं

दिल्ली-भारत में कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार बुरी तरह धीमी पड़ गई है। राज्यों के पास वैक्सीन का स्टाॅक लगभग समाप्ति की ओर है। हालात यह हैं कि आने वाले समय में राज्यों में वैक्सीनेशन पूरी तरह से ठप भी पड़ सकता है। राज्यों ने ग्लोबल टेंडर जारी कर विदेशों से वैक्सीन आयात करने की कोशिश तो की है मगर अभी तक किसी भी राज्य के टेंडर में विदेशी कंपनियां शामिल नहीं हुई हैं। नतीजतन अब राज्य अपने टेंडर की तारीख आगे बढ़ाने को मजबूर हैं। ऐसे में सवाल है कि टेंडर डेट आगे बढ़ाने से क्या होगा? आखिर क्यों विदेशी कंपनियां भारत के राज्यों को वैक्सीन सप्लाई करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही?

महाराष्ट्र, यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड, दिल्ली, तेलंगाना, उड़िसा समेत भारत के कई राज्यों ने कोरोना वैक्सीन के लिये ग्लोबल टेंडर जारी किये थे। लेकिन किसी भी राज्य का अभी तक किसी विदेशी कंपनी से वैक्सीन सप्लाई को लेकर करार नहीं हो पाया है। विदेशी कंपनियों की राज्यों से ऐसी बेरूखी है कि उन्होंने ग्लोबल टेंडर में हिस्सा नहीं लिया है। कई राज्यों ने स्पुतनिक, माॅडर्ना, फाइजर और जाॅनसन एंड जाॅनसन जैसी कंपनियों को मेल भी भेजे हैं लेकिन इन कंपनियों की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। मजबूरन राज्यों को अपनी टेंडर डेट आगे बढ़ानी पड़ी है। महाराष्ट्र ने 5 करोड़ वैक्सीन डोज के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला है। जिसकी आखिरी तारीख 26 मई है। और अभी तक किसी भी विदेशी कंपनी ने टेंडर में प्रतिभाग नहीं किया है।

राज्य की तरफ से स्पुतनिक को लिखे गए मेल का अब तक जवाब नहीं आया है। मॉडर्ना, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियों से बातचीत करने की कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो राज्य ने 4 करोड़ डोज के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले गए थे। ज्यादा से ज्यादा कंपनियां टेंडर में शामिल हो सकें इसके लिये नियमों ढील भी दी गई। जैसे निविदा राशि को घटाकर 16 करोड़ से 8 करोड़ कर दिया गया। किस तापमान पर वैक्सीन स्टोर होनी चाहिए, इसमें भी ढील दी गई है। मगर कोई भी कंपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रही। अब टेक्निकल बिड को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है। इसी तरह तमिलनाडु में 3.5 करोड़ वैक्सीन के लिए टेंडर जारी किया गया था। आवेदन की आखिरी तारीख 5 जून है। कर्नाटक में 24 मई है। उत्तराखण्ड में 31 मई तक टेंडर डेट बढ़ा दी गई है। 18-44 आयुवर्ग के लोगों के वैक्सीनेशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई दूसरे राज्य भी ग्लोबल टेंडर के बारे में सोच रहे हैं। मगर जिन राज्यों ने फिलहाल वैक्सीन आयात के लिये ग्लोबल टेंडर जारी किये हैं उनके परिणाम निराशाजनक रहे हैं।

केन्द्र सरकार पर ग्लोबल टेंडर का दबाव

विदेशी कंपनियों ने जब राज्यों के ग्लोबल टेंडर में दिलचस्पी नहीं दिखाई तो कई राज्यों ने केन्द्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। महाराष्ट्र, दिल्ली और राजस्थान सरकार ने केन्द्र की मोदी सरकार से मांग की है कि सरकार खुद ग्लोबल टेंडर निकाले। विदेशी कंपनियों ने भी राज्यों के बजाय सीधे केन्द्र सरकार से डील करने की बात कही है। आपको बता दें कि केन्द्र सरकार ने सबसे पहले कोरोना वैक्सीनेशन शुरू किया था। केन्द द्वारा कोरोना फ्रंट लाइन वर्कर, मेडिकल स्टाॅफ और वरिष्ठ नागरिकों को वैक्सीन लगाई थी। इसके लिये केन्द्र सभी राज्यों का कोटा भी तय किया था। केन्द्र से मिल रही वैक्सीन से ही अब तक राज्यों में वैक्सीनेशन का काम चल रहा है। लेकिन जैसे ही 18 प्लस के वैक्सीनेशन की बात आई तो केन्द्र सरकार ने गेंद राज्यों के पाले में डाल दी। इसके लिये सरकार ने राज्यों को विदेश से वैक्सीन आयात करने की छूट दे दी। साथ ही प्राइवेट अस्पतालों को भी विदेश से वैक्सीन खरीदने की छूट मिली। राज्यों ने इसी के अनुसार ग्लोबल टेंडर भी जारी किये। मगर विदेशी कंपनियों ने इसमें अभी तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
अब राज्यों के पास ग्लोबल टेंडर की तारीखें आगे बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं है। देखना होगा कि केन्द्र सरकार कब वैक्सीन आयात को लेकर एक केन्द्रीय पाॅलिसी बनाकर खुद वैक्सीन खरीद शुरू करती है।

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