प्रकाश पंत जयंती : अपने नेता को नम आंखों से याद कर रहे हैं लोग
आज जन नेता प्रकाश पंत की जयंती है, और सभी लोग आज उन्हें नम आँखों से याद कर रहे हैं। आज से दो साल पहले,18 फरवरी 2019 के दिन सदन में जब वे आधे भाषण तक पहुंचे थे तो उनके पांव लड़खड़ा गए। वो अचेत हुए तो उपस्थित सदन स्तब्ध था। जैसे-तैसे खुद को संभालते उन्होंने फिर भाषण पढ़ना शुरू किया लेकिन काया निढाल होने लगी। उन्हें भाषण बीच में छोड़ना पड़ा। आज जननेता प्रकाश पंत का जन्मदिवस है और पूरा उत्तराखण्ड उन्हें नम आंखों से याद कर रहा है। केंसर से जूझ रहे 59 वर्षीय प्रकाश पंत ने 5 जून 2019 को अमेरिका में आखरी सांस ली थी। प्रकाश पंत का जन्म 11 नवंबर 1960 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मोहन चंद्र पंत और कमला पंत के घर में हुआ था प्रकाश पंत पहली बार 1989 में पिथौरागढ़ नगरपालिका के सभासद चुने गए… सभासद के कार्यकाल में पंत ने अपने मधुर व्यवहार से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई. उत्तराखंड में भाजपा को पहचान दिलाने में जिन नेताओं की गिनती होती है, उनमें प्रकाश पंत का नाम भी प्रमुखता से शामिल है… 1998 में प्रकाश पंत यूपी की विधानपरिषद के लिए चुने गए… दो साल तक एमएलसी रहने बाद में 10 नवम्बर 2000 को अलग उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आ गया. इसके साथ ही पंत उत्तराखंड की राजनीति के आसमान में एक शानदार सितारे की तरह चमकने लगे.सूबे की अंतरिम विधानसभा में प्रकाश पंत को विधानसभा अध्यक्ष बनने का मौका मिला…
पंत के नाम कॉमनवेल्थ देशों में सबसे कम उम्र के स्पीकर होने का रिकॉर्ड भी है.. सूबे के पहले विधानसभा चुनाव में पंत पिथौरागढ़ विधानसभा से रिकॉर्ड वोटों से जीते थे. कांग्रेस सरकार में विपक्षी विधायक होने के बावजूद एनडी तिवारी जैसे दिग्गज सीएम ने उन्हें हमेशा सम्मान दिया. साल 2007 में खंडूरी और फिर निशंक सरकार में भी प्रकाश पंत के पास पेयजल, संसदीय, पर्यटन जैसे अहम विभाग रहे. लेकिन साल 2012 के विधानसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था… साल 2017 के चुनावों में पंत पर पिथौरागढ़ की जनता ने फिर भरोसा जताया.. त्रिवेन्द्र रावत की सरकार में उनका कद नम्बर दो मंत्री के रूप में रहा. पंत वर्तमान भाजपा सरकार में वित्त, संसदीय, पेयजल, आबकारी, गन्ना विकास और चीनी उद्योग जैसे अहम मंत्रालय संभाल रहे थे.. मात्र 59 साल की उम्र में दुनिया से उनका अलविदा होना हर किसी को रूला गया। अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में प्रकाश पंत जैसे राजनेता की गिनती उन लोगों में होती है, जिन्होनें कभी भी राजनीतिक पक्षपात को खुद पर हावी नहीं होने दिया… राजनीति के साथ ही पंत की साहित्य में भी गहरी रूचि थी.. उन्होनें आधा दर्जन से अधिक किताबें लिखी हैं. दो दशकों तक उत्तराखंड की राजनीति में अटल तारे की तरह चमकने वाला प्रकाश अब हमारे बीच नहीं है। उनके जन्म दिन के मौके पर आज हर कोई उन्हें याद कर रहा है और अपनी श्रद्धांजलि दे रहा है…