Monday, October 7, 2024
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75 दिन बाद मिला पायलट जयंत जोशी का पार्थिव शव, रणजीत सागर डैम पर हुआ था हेलीकॉप्टर क्रैश

जम्मू-कश्मीर में 03 अगस्त  को एक बड़ा हादसा हुआ था जिसने सबको झंझोर के रख दिया था.. 3 अगस्त की सुबह सेना का एक हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया था। जम्मू कश्मीर के कठुआ के नजदीक रंजीत सागर बांध के पास भारतीय सेना का एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था।

इस हादसे में दो पायलट के शहीद होने की खबर सामने आई थी.. वहीँ हादसे के बाद 15 अगस्त को लेंफ्टिनेंट कर्नल एएस बाठ का शव बांध से रिकवर कर लिया था। लेकिन दूसरे पायलट के शव की खोजबीन कल तक चल ही रही थी… लेकिन आज 76 दिनों बाद दूसरे पायलट यानि जयंत जोशी का शव मिल गया है। जी हाँ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि रणजीत सागर बांध में दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर के दूसरे पायलट का शव 76 दिनों के बाद बरामद किया गया है। 3 अगस्त को भारतीय सेना का एक हेलीकॉप्टर बांध से टकरा गया था। डिफेंस पीआरओ से मिली जानकारी के मुताबिक 3 अगस्त को दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर के दूसरे पायलट कैप्टन जयंत जोशी के शव को निकालने के लिए दिन-रात 75 दिनों तक सेना और नौसेना द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे और आखिरकार उनका शव बरामद कर लिया गया है। काफी प्रयास के बावजूद न तो हेलीकाप्टर का सुराग झील में मिल रहा था और न ही लापता पायलट और को-पायलट का। काफी मशक्कत से उस जगह को चिह्नित किया गया, जहां हेलीकाप्टर गिरा था। पठानकोट के एक नागरिक ने बताया था कि हेलीकाप्टर गिरने के बाद झील में धमाका हुआ था। बांध के विशाल विस्तार और गहराई के कारण खोज और बचाव दल झील के तल को स्कैन करने के लिए अत्याधुनिक मल्टी-बीम सोनार उपकरण का उपयोग कर रहा था और प्राप्त इनपुट के आधार पर पेशेवर गोताखोरों के साथ रोबोटिक आर्म वाले दूरस्थ रूप से संचालित वाहन को क्षेत्र की खोज के लिए लॉन्च किया गया था।

कैप्टन जोशी उत्तराखंड के रानीखेत के रहने वाले थे
कैप्टन जोशी मूल रूप से अल्मोड़ा ज़िले के रानीखेत से थे… हालाँकि वर्त्तमान में वे अपने परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे थे। उनकी माता जीवन तारा जोशी भी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कोलकाता में नियुक्त हैं… कैप्टन जोशी की माँ ने ही उन्हें भारतीय थल सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।

कैप्टन जयंत जोशी का भारतीय सेना तक का सफर…
आपको बता दें जोशी ने दिल्ली के आर्मी पब्लिक स्कूल, धौला कुआं से अपनी पढाई पूरी की। जिसके बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। साल 2017 में वे सेना की 9 सिख लाइट इन्फेंट्री में भर्ती हुए थे, जहाँ वो LOC में तैनात थे.. इसके ठीक 2 साल बाद उन्होंने 254वीं आर्मी एविएशन कोर पठानकोट में शामिल हो गए।

 

बता दें कि शव को रविवार दोपहर करीब 2 बजे बांध से बाहर निकाला गया था। ज्यादा वरक्त बीत जाने के कारण शव की हालत बहुत खराब हो गई है। पायलट की डेडबॉडी को पठानकोट सेना अस्पताल में रखा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक शव को जल्द ही परिवार को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया जाएगा।

 

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