उम्र 85 साल…… कंधे पर तिरंगा…. पीठ पर 80 किलो का बोझ…. काम पैदल चलना बस चलते रहना…. मिशन है देश की युवा पीढ़ी को नशे से बचाना…
वो 26 साल से पैदल चल रहा है… कश्मीर से कन्याकुमारी, अरूणाचल से गुजरात भारत की धरती को 25 बार नाप चुका है…. वो 6 लाख किमी से अधिक की पैदल यात्रा कर चुका है पूरी….
जी हां हम बात कर रहे हैं पदयात्री बगीचा सिंह की। पानीपत-हरियाणा के बगीचा सिंह की उम्र इस समय करीब 85 साल से अधिक की है। लेकिन उनका जोश और जुनून किसी युवा से कम नही हैं। जिस उम्र में लोगों के शरीर को आराम की जरूरत होती है….. मानसिक तौर पर शांति की आवश्यकता होती है….. उस उम्र में वह देश की सेवा में लगे हैं। बगीचा सिंह का सपना देश को आगे बढ़ना है। इसके लिए वह देश के युवाओं को जागरूक कर रहे हैं। उनका मिशन है युवा पीढ़ी को नशे के प्रति जागरूक करना और देश में गुटखे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना।
20 फरवरी 1993 से पैदल यात्रा कर रहे बगीचा सिंह देश के युवाओं को धूम्रपान, भ्रष्टाचार और नशाखोरी से दूर करना चाहते हैं। उनका कहना है कि जब देश के युवा इसमें जकड़ जाएंगे तो देश का विकास कैसे होगा। वह अपनी पदयात्रा के दौरान शिक्षा संस्थानों में जाकर सामाजिक समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करते हैं। वह लोगों को कन्याभ्रूण हत्या और बालश्रम आदि का खुलकर विरोध करने की जागरूकता फैलाते हैं। वह जहां जाते हैं वहां लोग उनका दिल खोलकर स्वागत करते हैं।
लगभग 26 सालों से पैदल यात्रा कर रहे बगीचा सिंह अपने साथ जरूरी सामान सहित करीब 80 किलो का वजन लेकर चलते हैं। जिसमें दो झंडे भी शामिल हैं। अब तक पदयात्री बगीचा सिंह करीब 6,20,000 किमी की यात्रा पूरी कर चुके हैं। उन्होंने अपनी पदयात्रा लडाया से शुरू की थी। आज भी वह एक दिन में करीब 50 से 60 किमी पैदल चलते हैं।
बगीचा सिंह का सफर आज भी जारी है, वो तब तक पैदल चलकर भारत के एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंचते रहेंगे, जब तक देश का युवा नशे से दूर नहीं हो जाता, वो तब तक पैदल चलते रहेंगे जब तक उनके शरीर में जान है।