खामोश हो गई समाजवाद की मुखर आवाज, देश के बड़े नेता शरद यादव का निधन
जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव नहीं रहे। गुरुवार रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हो गया। वो 75 साल के थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली के छतरपुर स्थित उनके निवास स्थान पर अंतिम दर्शन के लिये रखा गया है। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा, जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है।
शरद यादव का जन्म एक जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था। वो एक किसान परिवार में पैदा हुए। युवावस्था में आते ही यादव को राजनीति में दिलचस्पी होने लगी, शरद यादव के राजनीतिक करियर की अगर बात करें तो वो 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। इस दौरान वो जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे। इसके बाद शरद यादव ने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें 1977 में फिर से जबलपुर लोकसभा सीट से ही सांसद चुना गया। इस दौरान वो युवा जनता दल के अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद 1986 में पहली बार शरद यादव राज्यसभा पहुंचे। 1989 में यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव जीते। इसके बाद इसी साल उन्हें केंद्रीय मंत्री का पद भी मिला। यादव को 1997 में जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना गया। यादव का आगे का सफर भी काफी शानदार रहा। साल 1991 से लेकर 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद चुने गए। वो गरीब, कुचले, पिछड़ों की आवाज उठाने वाले नेता रहे आज समाजवाद की यही आवाज हमेशा के लिये खामोश हो गई। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राहुल गांधी समेत तमाम राजनीतिक और गैरराजनीतिक लोगों ने गहरा दुख प्रकट किया है।