Friday, December 6, 2024
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गजब का दावा –  नेपाल की नज़र देहरादून और नैनीताल पर 

चीन के इशारों पर काम करने वाले नेपाल ने अब एक और विवादित अभियान चला रखा है. इस अभियान के तहत अब वो उत्तराखंड के देहरादून, नैनीताल समेत हिमाचल, यूपी, बिहार और सिक्किम के कई शहरों को नेपाली बता रहा है. नेपाल की सरकार यानी सत्ताधारी पार्टी नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी ने यूनिफाइड नेपाल नेशनल फ्रेंट के साथ मिलकर एक ग्रेटर नेपाल अभियान चलाया है….. 

 

इसके तहत ही ये लोग भारत के कई प्रमुख शहरों को अपना बता रहे हैं। … अपने खोखले दावे के लिए नेपाल ने 1816 में हुई सुगौली संधि से पहले के नेपाल की तस्वीर पेश कर रहा है. वह इसके जरिए अपने देश के लोगों को भटकाने और भड़काने में जुट गया  है….. दरअसल ग्रेटर नेपाल अभियान से विदेशों में रहने वाले नेपाली युवा भी बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं…. ऐसे में उत्तराखंड के लिए ये सतर्क होने वाली बात है क्यूंकि यहाँ बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक रोजगार के लिए प्रवास करते हैं।

अब नए पैंतरे के बीच नेपाल बकायदा ग्रेटर नेपाल के नाम से फेसबुक पेज चला रहा है … .ग्रेटर नेपाल अभियान से विदेशों में रहने वाले नेपाली युवा भी बड़ी संख्या में जुड़ चुके हैं……  ट्विटर पर भी सत्ताधारी दल की टीम एक्टिव है…..  ग्रेटर नेपाल यू-ट्यूब चैनल पर भी है जिसमें नेपाल के साथ पाकिस्तानी युवा भी भारत के खिलाफ बातें करते आपको नजर आ जाएंगे…..  आपको याद दिला दें कि नेपाल ने कुछ समय पहले ही एक विवादित बयान दिया था जिसमें उसने दावा किया है कि उत्तराखंड राज्य में कुमाऊं इलाके का चंपावत जिला उसकी सीमा में आता है।

 चीन की शह पर नेपाल सिर्फ यहीं तक नहीं रुका बल्कि अब उसने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पर भी अपना दावा कर दिया है. इसके लिए बकायदा ग्रेटर नेपाल कैंपेन चलाया जा रहा है.  इसके पहले भी भटके हुए नेपाल ने भारत के बड़े धार्मिक और हिंदुत्व के प्रतीक भगवान श्री राम को भी अपना बता कर जग हंसाई करा ली थी काला …. चीन के हांथों कठपुतली बन कर नाच रहे नेपाल ने सीमाओं के अतिक्रमण के बाद सांस्कृतिक अतिक्रमण करते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दावा किया था कि राम वास्तव में नेपाल में पैदा हुए थे और असली अयोध्या भी नेपाल में ही है…..

यानी अब नेपाल हर दिन नए शगूफे के साथ भारत से टकराने की नाकाम कोशिशें कर रहा है। अब इस विवादित ग्रेटर नेपाल ग्रुप से जुड़े पाकिस्तानी युवा अपनी प्रोफाइल की जगह परवेज मुशर्रफ, नवाज शरीफ और पाकिस्तानी झंडे के फोटो लगा रहे हैं। नेपाल में वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के आने के बाद से ही ग्रेटर नेपाल की मांग ने जोर पकड़ा है। 8 अप्रैल 2019 में नेपाल ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इस मुद्दे को उठाया भी था। लेकिन, फिर ये मुद्दा शांत हो गया था। अब चीन से भारत के बिगड़े रिश्तों और कालापानी मुद्दे को तूल देने के लिए नेपाल ने नए सिरे से इसे हवा देना शुरू कर दिया है।

ताज़ा मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया जा रहा है कि नेपाल सत्ताधारी दल भारत और नेपाल के संबंधों में दूरी बढ़ाने के लिए दुष्प्रचार कर रही है। विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि ग्रेटर नेपाल के दावे का कोई आधार नहीं है।लेकिन जानकार कह रहे हैं कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून तक अपनी नज़रें गड़ाने वाले नेपाल को माकूल जवाब देने की भी ज़रूरत है 

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