Saturday, April 20, 2024
अंतरराष्ट्रीय

तालिबान का उत्तराखंड कनेक्शन, इस तालिबानी नेता ने आईएमए से ली है ट्रेनिंग

-आकांक्षा थापा

मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई उर्फ़ शेरू को कट्टर धार्मिक नेता कहा जाता है… साल 2015 में उन्हें तालिबान के दोहा स्थित राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख बनाया गया. जिसके बाद उन्होंने अफगान सरकार के साथ शांति वार्ता में भी हिस्सा लिया। इसके अलावा वह अमेरिका के साथ हुए शांति समझौते में शामिल थे ओर अब तक कई देशों की राजनीतिक यात्राओं में तालिबान का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि स्तानिकजई का भारत से भी एक रिश्ता रह चुका है. उन्होंने 1970 के दशक में अफगान सैनिकों के साथ देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडमी  से ट्रेनिंग ली है.

आपको बता दें, आईएमए से पहले स्तानिकजई ने राजनीतिक विज्ञान में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी… लेकिन बाद में वो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ गया… और वहां से ट्रेनिंग ली…. जिसके बाद साल  1996 में अमेरिका भी गए थे, जहां उन्होंने तत्कालीन क्लिंटन सरकार से तालिबान शासित अफगानिस्तान को राजनयिक मान्यता देने के लिए कहा था. अब ऐसा कहा जाता है कि उनका आईएसआई के साथ करीबी रिश्ता है. तालिबान की नई सरकार में उन्हें कौन से पद पर रखा जाएगा, इसपर अभी तक कोई जानकारी नहीं आई है…

इससे पहले अब्‍बास अफगानिस्‍तान में भारत की भूमिका की आलोचना करता रहता था। अब्‍बास ने कहा कि वह तालिबान के कब्‍जे के बाद भारत की काबुल की सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंताओं से वाकिफ है लेकिन उसे दूतावास और कर्मचारियों को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए। तालिबानी नेता अब्‍बास ने खासतौर पर पाकिस्‍तानी आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा और लश्‍कर-ए-झांगवी के लड़ाकुओं की तैनाती की खबर का जिक्र किया और दावा किया कि काबुल में सभी चेकपोस्‍ट तालिबान के हाथों में है न कि इन संगठनों के पास।

तालिबान के इस प्रस्‍ताव पर भारतीय पक्ष और उनके अफगान समकक्षों ने त्‍वरित आकलन किया और यह निष्‍कर्ष निकाला कि तालिबानी प्रस्‍ताव का कोई महत्‍व नहीं है। इसी वजह से भारतीय दल को योजना के मुताबिक वहां से निकाला गया। इससे पहले भारतीय दल को यह खुफिया सूचना मिली थी कि कुछ ‘शरारती तत्‍व’ और लश्‍कर-ए-तैयबा तथा हक्‍कानी नेटवर्क के आतंकी तालिबान के साथ काबुल पहुँच गए हैं…

 

 

 

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