मकर संक्रांति 2022 : जानिए देशभर में मकर संक्रांति की विशेषताएँ
मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे देश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। असम में बिहू, तमिल में पोंगल, और गुजरात में उत्तरायण के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है। पंजाब में भी मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है।
वहीं तमिलनाडु में पोंगल के अवसर पर बैल की पूजा की जाती है, क्योंकि बैल के माध्यम से किसान अपनी जमीन जोतता है। गाय व अन्य पशुओं को भी सजाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी सेवन और खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व माना जाता है। इस दिन सुबह नदी में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं मकर संक्रांति का पर्व गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन वहां के लोग पतंग उड़ाते हैं और तिल-गुड़ के लड्डू खाते हैं।
कथित तौर पर इस दिन से दिन लम्बे और राते छोटी होने लगती है। पहाड़ो में इस दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा है। कहते हैं यह शुरुआत गुरु गोरखनाथ ने की थी। ऐतिहासिक तौर पर खिलजी के आक्रमण के समय गोरखनाथ ने संघर्ष कर रहे योगियों की भोजन पूर्ति के लिए खिचड़ी का आविष्कार किया था। योगी खिलजी के सैनिकों को अपने इलाके से भगाने में सफल रहे। जिसके बाद से मकर संक्रांति को विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता यह भी है कि इस दिन किए गए दान-धर्म से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
बता दें कि देश के कई हिस्सों में मकर संक्रांति आज यानि 14 जनवरी को मनाई जा रही है वहीं कई हिस्सों में ये पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। दरअसल कुछ पंचांग में 14 जनवरी की दोपहर को बताया गया है तो कुछ में रात का बताया गया है। इस कारण इस साल मकर संक्रांति का त्यौहार 14 और 15 जनवरी यानी दोनों दिन ही मनाई जा रहा है।