
अख्तर इमाम यहां पर दिन-रात हाथियों की सेवा में लगे रहते हैं। उनके साथ पांच अन्य लोग भी इस काम से जुड़े हैं। सभी की अलग-अलग जिम्मेदारी है। अख्तर के अनुसार वह हाथियों के लिए बड़ा काम करना चाहते हैं, इसलिए रामनगर आए हैं। सांवल्दे में वह एक हाथी गांव बसाना चाहते हैं, जिसमें बुजुर्ग और बीमार या दिव्यांग हो चुके हाथियों को रहने की जगह मिल सकेगी। अख्तर ने राज्य सरकार और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को पत्र लिखकर हाथी गांव को पीपीपी मोड में चलाने की मांग की है।
आज इंसान एक-एक इंच जमीन के लिए संघर्ष कर रहा है, ऐसे में हाथियों के लिए जगह कम होती जा रही है। इसके लिए हर किसी को सोचना चाहिए। अगर हाथियों का संरक्षण नहीं किया गया तो हमारी अगली पीढ़ी इस विशाल जानवर को किताबों में ही पढ़ा करेगी। लेकिन समय रहते अगर हमने अख्तर इमाम जैसे पशु प्रेमियों से सबक ले सके तो इन जानवरों को बचाने में अहम किरदार साबित हो सकते हैं