Friday, April 26, 2024
उत्तराखंडदेहरादून

LIC के अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर, आंदोलन तेज़ करने की दी चेतावनी

-आकांक्षा थापा

राज्य में बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के बाद अब एलआईसी के विनिवेश के फैसले का विरोध करते हुए साथ ही तीन सूत्री मांगों के समर्थन में आज एलआईसी के अधिकारी- कर्मचारी हड़ताल कर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में जुटे है … इसके चलते आज भारतीय जीवन बीमा निगम में जनता का कोई भी काम नहीं होगा

बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 फीसद से बढ़ाकर 74 फीसदी करने, एलआईसी के आईपीओ जारी करने और वेतन समझौता लागू न करने से एलआईसी के अधिकारी- कर्मचारी लम्बे समय से आंदोलनरत हैं .. यही वजह है की सरकार के इन तीनों प्रस्तावों का ऑल इंडिया इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन विरोध करती है। यह न तो बीमा उद्योग के लिए हितकारी है ना तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उचित है..

आख़िर क्या है सरकार का प्लैन जिससे सहमत नहीं है एलआईसी कर्मचारी…..?

बता दें की एलआईसी की शुरुआत साल 1956 में हुई थी और इस वक्त इसमें करीब 114,000 कर्मचारी काम करते हैं… इसके अलावा करीब 29 करोड़ से ज्यादा पॉलिसी होल्डर्स भी हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने इस साल के बजट में LIC का आईपीओ लाने का ऐलान किया था, इसके अलावा PSU और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का विनिवेश लक्ष्य रखा था, जिसके लिए सरकार ने दो बैंकों और एक सार्वजनिक क्षेत्र की इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का ऐलान किया था…

यहि नहीं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बयान के मुताबिक IDBI बैंक के अलावा, दो पब्लिक सेक्टर बैक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार की विनिवेश योजना का हिस्सा हैं… विनिवेश के जरिए जुटाई गई रकम से सरकार सोशल और डेवलपमेंट प्रोग्राम को फाइनेंस करेगी…
इस पर कर्मचारियों का कहना है कि देश के घरेलू बचत पर विदेशी कंपनियों को आमंत्रण करना देश की आर्थिक स्वतंत्रता को समाप्त करने जैसा है… सरकार के एलआईसी में अपने हिस्से को बेचने वाले फैसले से करीब 40 करोड़ पॉलिसी धारकों को बड़ा नुकसान होगा… वहीँ सरकार की ओर से अपनी हिस्सेदारी बेचने के बाद एलआईसी सार्वजनिक कार्यों में आर्थिक मदद नहीं कर पाएगी। एलआईसी कर्मचारियों का कहना है कि बीते 44 महीने से वेतन समझौते को लागू नहीं किया गया है। यही कारण है की एलआईसी के अधिकारियों और कर्मचारियों में सरकार के प्रति भारी आक्रोश है।

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