LAKHIMPUR KHIRI: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी मामले की सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी गई
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को शुक्रवार तक स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश की सरकार शुक्रवार को सुनवाई के दौरान स्टेटस रिपोर्ट में यह बताएगी कि किन-किन अभियुक्तों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है और एफआइआर जिनके खिलाफ दर्ज है वे लोग गिरफ्तार किए गए हैं कि नहीं। इसके साथ ही कोर्ट ने हिंसा में अपना बेटा गंवाने वाली मां के इलाज के लिए तुरंत इंतजाम करने का यूपी सरकार को आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बैठक इस मामले को सुनेगी।
वहीँ, लखीमपुर खीरी मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि दो अधिवक्ताओं ने मंगलवार को अदालत को एक पत्र लिखा था, कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को पत्र को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का निर्देश दिया था, लेकिन गलत संचार के कारण से यह स्वत: संज्ञान मामले के रूप में दर्ज किया गया। कोर्ट ने दोनों वकीलों को पेश होने का आदेश दिया है।
आपको बता दे कि रविवार को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसानों समेत कुल नौ लोगो की मौत हुई थीं। तीन अक्टूबर को कुछ किसान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के विरोध में जुलूस निकल रहे थे। तभी एक तेज रफ्तार वाहन से चार किसान कुचले गए। इस घटना के बाद उग्र हुए लोगों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और वाहन के चालक की पीट-पीटकर हत्या कर दी। हिंसा की इस घटना में एक पत्रकार की भी जान चली गई। इस घटना ने देश भर में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। कई विपक्ष उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोपियों को बचने का आरोप लगा रहें हैं। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है।
प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को पूरे कांड की जांच का जिम्मा सौंपा है। श्रीवास्तव को दो महीने के भीतर इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। फिलहाल दोनों वकीलों ने अपने पत्र को जनहित याचिका (पीआइएल) के रूप में मानने का आग्रह किया था ताकि दोषियों को कानून के कटघरे में लाया जा सके। उत्तर प्रदेश के गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि जांच आयोग के गठन के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। आयोग को जांच के लिए दो महीने का वक्त दिया गया है।