पंचतत्व में विलीन हुईं डाॅ. इंदिरा हृदयेश, हल्द्वानी में हुआ अंतिम संस्कार
उत्तराखण्ड की कद्दावर नेत्री और विधानसभा में विपक्ष की नेता डाॅ.इंदिरा हृदयेश पंचतत्व में विलीन हो गईं हैं। आज हल्द्वानी के चित्रशिला घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले स्वराज आश्रम में उनके अंतिम दर्शनों के लिये पक्ष-विपक्ष के तमाम नेता और आम लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी अंतिम दर्शनों के लिये हल्द्वानी पहुंचे। उन्होंने डाॅ.इंदिरा हृदयेश को श्रद्धांजलि दी।
रविवार को दिल्ली में हुआ था निधन, दिल का दौरा पड़ने से हुई थी मौत
आपको बता दें कि डॉ. इंदिरा हृदयेश का रविवार को नई दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। 80 वर्षीय इंदिरा पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली गई थीं। वह उत्तराखंड सदन में ठहरी हुई थीं वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। इंदिरा इस साल अप्रैल में कोविड-19 से भी संक्रमित हुई थीं। कोरोना से ठीक होने के बाद उनके दिल की सर्जरी हुई थी।
47 सालों से राजनीति में थीं सक्रिय-
करीब 47 सालों से राजनीति में सक्रिय इंदिरा हृदयेश हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक थीं। 7 अप्रैल 1941 को जन्मी हृदयेश 1974 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए पहली बार चुनी गईं। इसके बाद 1986, 1992 और 1998 में भी अविभाजित उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिये चुनी गईं। 2000 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता बनीं। 2002 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हल्द्वानी से जीतीं।
स्व. नारायण दत्त तिवारी की सरकार में उनका इतना बोलबाला था कि उन्हें सुपर सीएम तक कहा जाता था। 2007 में वह चुनाव हार गईं। 2012 में फिर उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता। वह पहले विजय बहुगुणा फिर हरीश रावत सरकार में मंत्री रहीं। 2017 के चुनाव में वह हल्द्वानी से जीती और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाई गईं। इंदिरा हृदयेश का अचानक चले जाना न केवल कांग्रेस के लिये बड़ी क्षति है बल्कि उनके जाने से उत्तराखण्ड की राजनीति में भी एक निर्वात पैदा हो गया है, जिसकी भरपाई शायद ही कभी हो पाए।