राजनीति की खातिर पति से भिड़ गईं श्रीमती जी, यहां पति और पत्नी लड़ रहे हैं एक दूसरे के खिलाफ चुनाव
देहरादून- हिन्दी सिनेमा का एक मशहूर गीत है जरूरत है, जरूरत है, जरूरत है… एक श्रीमती की, एक कलावती की… सेवा करे जो पति की…..। 70 के दशक में आई फिल्म मनमोजी का यह गीत बताता है कि पति के लिये पत्नी की अहमियत क्या है, लेकिन मौजूदा समय में इस गाने के मायने बदल गये हैं अब पत्नी से सेवा भला कौन कराता है। अब पत्नियां पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। या ये कहा जाए कि पत्नियां पति से एक कदम आगे निकल चुकी हैं। पत्नियां घर से बाहर अब पति से दो-दो हाथ करती नजर आ रही हैं।
हम बात कर रहे हैं राजनीति लड़ाई से जुड़े एक दिलचस्प मामले की जो उत्तराखण्ड में सामने आया है। राजनीति भी कमाल करती है, वह भाई को भाई से लड़ाती है, कभी पिता-पुत्र को लड़ाती है तो कभी राजनीतिक लड़ाई में परिवार के सदस्यों के रास्ते जुदा हो जाते हैं। अब इस फेहरिस्त में पति-पत्नी का नाम भी जुड़ गया है। ऐसा ही एक मामला उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर सीट में सामने आया है। जहां पति और पत्नी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। जी हां दोनों विधायकी का चुनाव लड़ रहे हैं। पति-पत्नी का एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ना इन दिनों चर्चाओं में में है। आपको बताएं कि आरक्षित सोमेश्वर सीट में बलवंत आर्य समाजवादी पार्टी से विधायकी का चुनाव लड़ रहे हैं। और उनकी पत्नी मधुबाला आर्य निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। दोनों पति-पत्नी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। बड़ा दिलचस्प रहा जब नाम वापसी की अंतिम तिथि को पति बलवंत आर्य निर्वाचन कार्यालय में पत्नी का इंतजार करते रहे कि श्रीमती जी अपना नाम वापस लेने आएंगी लेकिन पत्नी नहीं आईं। फिर क्या था दोनों मैदान में आमने-सामने आ गये। अब इन दिनों पति-पत्नी सुबह घर से निकलते हैं दिनभर सोमेश्वर में जनता से अपने-अपने लिये वोट मांगते हैं और फिर एक ही छत के नीचे घर पर उनकी सामान्य लाइफ शुरू हो जाती है। अब देखना दिलचस्प होगा की 10 मार्च को जब नतीजे सामने आएंगे तो पति-पत्नी का प्रदर्शन कैसा रहता है। ये देखना भी दिलचस्प होगा कि पति और पत्नी में से किसी ज्यादा वोट मिलते हैं। क्योंकि इस सीट पर भाजपा-कांग्रेस के अलावा किसी और को जीत मिलनी बेहद मुश्किल है।