सीनियर आईपीएस अजय पाल लाम्बा ने लिखी है विवादित धर्मगुरु आशाराम पर किताब
किताब में किये गए हैं पुलिस और आशाराम बापू से जुड़े कई बड़े खुलासे
जयपुर के एडिशनल कमिश्नर ने खोले संत से जुड़े कई बड़े गहरे राज़
परत दर परत खोली गयी है एक एक घटना और कार्यवाही की गतिविधियां
चंडीगढ़ की एक अदालत के किताब पर रोक लगाने से किया है इनकार
पांच सितम्बर को होगी विवादित आशाराम पर लिखी चर्चित किताब
कभी लाखों लोगों के लिए चमत्कारी भगवान माने जाने वाला आसाराम बापू जेल की सलाखों के पीछे कैसे पहुंचा, इसको लेकर राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी अजय पाल लांबा ने किताब लिखी है। किताब के को-ऑथर संजीव माथुर हैं। लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करने से लेकर उसको जेल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लांबा ने अपनी किताब में लिखा कि गिरफ्तारी के बाद कैसे आसाराम जमीन पर बैठकर रोने लगा।
5 सितंबर को रिलीज़ होने वाली इस किताब में लिखा गया है कि कैसे पुलिसिया पूछताछ के दौरान फूट-फूट कर रो रहे आसाराम ने पुलिस अफसरों से लेकर कांस्टेबल तक के पैर पकड़े, कभी धमकी देने लगा तो कभी दीवार पर सिर मारने लगा और कभी गाना गाने लगा। जोधपुर में पुलिस उपायुक्त रहते हुए लांबा ने 20 अफसरों व पुलिसकर्मियों की टीम के साथ किस तरह का जाल बिछाकर आसाराम को गिरफ्तार किया, यह इस किताब में उन्होंने लिखी है । पुलिस की इस टीम को “टफ-20” नाम दिया गया था। वर्तमान में जयपुर में अतिरिक्त आयुक्त पद पर तैनात लांबा ने बताया, आसाराम को सजा हुई तो तब इस पर किताब लिखने का विचार मन में आया।
डयूटी के बाद जब भी समय मिलता तो प्रतिदिन केस के बारे में लिखना शुरु किया। किताब लिखने का मुख्य मकसद इस तरह के कथित संतों की वजह से सभी संतों की बदनामी और भक्तों की गड़बड़ाती आस्था के बारे में सभी वर्गों को सचेत करना है । किताब के राइटर लांबा कहते हैं कि मामला दर्ज होने के बाद से गिरफ्तारी और दोषी साबित करने तक जांच कर रही पुलिस टीम पर काफी दबाव आए। आसाराम के समर्थकों ने हर तरह के दबाव डलवाने के साथ ही धमकियां भी दी। पैसे का लालच भी दिया। गांव में रह रहे उनके माता-पिता को धमकी दी गई, लालच दिया गया। उनकी टीम में शामिल राज्य पुलिस सेवा की अधिकारी चंचल मिश्रा को फोन पर धमकियां दी गई, अपशब्द कहे गए, आखिरकार दोनों को अपने मोबाइल बंद करने पड़े। आसाराम ने खुद को बेकसूर साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
उसने खुद को नपुंसक साबित करके बचने की कोशिश की। उसका पोटेंसी टेस्ट कराने की बात आई तो उच्च अधिकारियों में विरोधाभास था। आखिरकार उसका टेस्ट हुआ, जिसमें आसाराम के नपुंसक होने का बहाना झूठा निकला। आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले तीन लोगों की हत्या और कईयों पर हमलों के बाद अन्य को सुरक्षित कैसे रखा,यह भी किताब में लिखा है। पीड़िता की तरफ से 58 गवाह थे, उनमें से 6 मुख्य थे ।अगस्त,2013 में आसाराम के खिलाफ दिल्ली में आईपीसी की धारा 342,376 व 508 के तहत नाबालिग के यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज हुआ। पीड़िता के पिता की रिपोर्ट थी कि आसाराम ने पीड़िता का जोधपुर स्थित आश्रम में जुलाई के अंतिम सप्ताह में यौन उत्पीड़िन किया था । मामला दिल्ली से जोधपुर ट्रांसफर हो गया। सबूत जुटाने के बाद पुलिस की टीम आसाराम की तलाश में जोधपुर, भोपाल, इंदौर, दिल्ली, छींदवाड़ा सहित कई शहरों में भेजी गई। 31 अगस्त, 2013 को उसे इंदौर हवाई अड्डे से पकड़ा गया। उसे इंदौर आश्रम में ले जाया गया, जहां पूछताछ के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ उसके समर्थकों ने हाथापाई की।
आसाराम को जोधपुर लाकर पूछताछ के बाद 1 सितंबर, 2013 को गिरफ्तार किया गया। यहाँ आपको ये भी बता दें कि आसाराम और उसके बेटा नारायण साई पर यौन हमलों, जमीन पर कब्जे, काले धन को सफेद बनाने, धमकाने, काला जादू जैसे अंधविश्वास फैलाने और उनके खिलाफ गवाह बने व्यक्ति की हत्या करवाने का आरोप है। लेकिन सबसे बड़ा मामला तो बेहद शर्मनाक है जिसमें आशाराम को नाबालिग लड़की से बलात्कार का दोषी पाये जाने के बाद जोधपुर की अदालत से उम्रकैद की सजा दी है वहीँ अब बाबा ने राजस्थान के राज्यपाल से अपनी उम्रकैद की सजा में राहत देने की अपील की है। अब इस चर्चित किताब गनिंग फॉर द गॉडमैन का इंतज़ार ख़त्म होने वाला है क्यूंकि पांच सितम्बर को ये किताब सामने आ जाएगी।