उत्तराखंड सरकार बड़ा फैसला करने जा रही है ….. मुख्यमंत्री TSR के कार्यालय से आ रही खबर के मुताबिक प्रदेश सरकार अब उत्तराखंड के टोंगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित करने की तैयारी कर रही है अगर ऐसा होता है तो देश के टोंगिया गांवों की करीब पचास हजार आबादी की ज़िंदगी बदल जाएगी …. इस फैसले को लेकर अब मुख्यमंत्री स्तर पर कार्यवाही शुरू हो गयी है।
आपको ये बताना ज़रूरी है कि टोंगिया गाँव का मतबल क्या है ? टोंगिया दरअसल उन मज़दूरों के गांव हैं जिनका इस्तेमाल 1930 में वनों में पौधरोपण के लिए हिमालयी क्षेत्र में किया जाता था , आजादी से पहले इन श्रमिकों को जंगलों में कई तरह की सुविधाएं भी हासिल थीं। 1980 के आसपास वन संरक्षण अधिनियम बनने के बाद इनके अधिकार खत्म हो गए और ये गांव भी संरक्षित वनों में घिर कर रह गए थे। लेकिन आज इन गाँव की तकदीर फिर करवट लेने वाली है क्यूंकि भाजपा सरकार अब इन टोंगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने जा रही है।
उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश, चंपावत, खटीमा, रामनगर, नैनीताल में इस तरह के कई छोटे बड़े गांव हैं। एक अनुमान के मुताबिक़ इन गांवों की आबादी करीब पचास हजार बताई जाती है।
इसके पहले उत्तर प्रदेश ने भी अपने कई टोंगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया है कुछ समय पहले ही उत्तर प्रदेश ने भी सहारनपुर, गाजियाबाद आदि क्षेत्रों के टोंगिया गांवों को वन संरक्षण अधिनियम के तहत राजस्व गांव का दर्जा दिया था।
ये फायदा मिलेगा टोंगिया गांवों को इसके बाद कई फायदे मिलेंगे जिनमें ख़ास है – सभी सरकारी योजनाओं का फायदा और एजुकेशन में लाभ साथ ही साथ राशनकार्ड, बिजली, पानी, शौचालय, स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया हो जाएँगी कोटहमने हाल ही में टिहरी बांध विस्थापितों के कई गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है की प्रदेश के टोंगिया गांवों को भी राजस्व ग्राम बनाने जा रहे हैं। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। इससे करीब 50 हजार लोगों को फायदा होगा। इन्हें राजस्व गांवों के समान नागरिक सुविधाएं मिल पाएंगी।इस फैसले से प्रभावित ग्रामीणों में ख़ुशी और संतोष दिखाई देने लगा है।