कोरोना के डर से छठ पूजा का जोश और उत्सव का रंग पड़ा फीका
- घरों पर रहकर ही दिया जाएगा अर्घ्य।
- दो गज की दूरी और मास्क जरूरी
- कंटेनमेंट जोन में छठ पूजा का आयोज पूरी तरह प्रतिबंधित।
- सभी श्रद्धालु छठ पूजा के कार्यक्रम के दौरान अधिक संख्या में घरों में एकत्रित न हों।
- दस वर्ष से कम आयु के बच्चों का छठ पूजा कार्यक्रम के दौरान विशेष ख्याल रखा जाए।
- 65 वर्ष से अधक आयु की महिलाओं और पुरुषों को अपने स्वास्थ्य के लिए इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखना बेहतर होगा।
- समय-समय पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिला प्रशासन के जरिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना बेहद जरूरी है।
बिहार यूपी जैसे बड़े राज्यों का महापर्व और लोक आस्था का छठ पूजन नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है। इस महोत्सव पर भी कोरोना का असर साफ़ दिखाई दे रहा है। तमाम नियम कानून के साथ सावधानियां बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इसको लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड में काम कर रहा है । देहरादून में भी बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा के लिए नदी, नहरों किनारे, इकठ्ठा होते हैं जहाँ अद्भुत नज़ारा होता है और महिलाएं कठिन व्रत के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। भीड़भाड़ होने से कोरोना संक्रमण के बढ़ने का खतरा हो सकता है लिहाज़ा प्रशासन ने सार्वजनिक स्थल पर एकजुट होकर अर्घ्य देने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
जिला प्रशासन ने आज जारी आदेश में कहा कि सभी लोग अपने-अपने घरों पर रहकर ही पूजन करेंगे और सूर्य को अघ्र्य देंगे। घरों में आसपास भी लोग सीमित संख्या में एकत्रित होंगे और शारीरिक दूरी के नियमों का पालन कर अनिवार्य रूप से मास्क पहनेंगे। इसके अलावा 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का पूजा के दौरान उचित ध्यान रखने और 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को पूजन से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी गई है। आदेश में यह भी कहा गया है कि कंटेनमेंट जोन में पूजा का आयोजन प्रतिबंधित रहेगा। किसी भी तरह के नियम के उल्लंघन पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।